नशा तो नशा होता है (ब्लागिंग को छोड़कर:), वो चाहें बीड़ी सिगरेट का हो या चिलम या खैनी या दारू की। इससे त्रस्त लोगों के दिल से पूछो। छोड़ने के लिए जाने कितने जतन किए लेकिन सब बेकार। खासकर भड़ासियों में तो नशाखोरी की लत बढ़ती ही जा रही है, ये मैं अपनी तीसरी आंख से देख कर बता रहा हूं। सो इन नशेबाज भड़ासियों का इलाज करने को दूसरा लौह पुरुष भड़ासी डा. रूपेश श्रीवास्तव ने कमर कस लिया है। पिछली बार तो भड़ासी नशेबाजों को डाक्टर साहब ने अपना ही मूत्र पीने की नेक सलाह दे दी थी लेकिन मैं कभी हिम्मत नहीं कर पाया। उसके अलावा भी उन्होंने ढेर सारे उपाय बताए थे जिसे आप भड़ास की पिछली पोस्टों में या फिर डाक्टर साहब के ब्लाग आयुषवेद पर जाकर पढ़ सकते हैं। इस बार डाक्टर साहब ने फूल पत्ती घास फूस के पिटारे से निकाला है एक अद्भुत रामबाण। डाक्टर रूपेश का दावा है कि इस रामबाण औषधि से बनी चाय को पंद्रह दिन पी लीजिए, फिर देखिए, नशे के बारे में सोचते हुए आपको उबकाई आने लगेगी....(हे भगवान, ये दिन कभी न दिखाएं, मरने के बाद ही ऐसा मौका आए)।
तो साहिबान, मेहरबान, कद्रदान....बस चलने वाली है, दो मिनट का टेम है, इस बीच मैं आप लोगों को कंपनी की तरफ से विशेष छूट पर ये दवा दिखा रहा हूं। पिछले पंद्रह साल से इस बस अड्डे पर मैं यह दवा बेच रहा हूं और जिन भाइयों की दवा खत्म हो जाती है वो हर बार यहीं से आकर ले जाते हैं। आप भी एक बार आजमाएं। जिस तरह पुराने लोगों ने एक बार आजमाया था और उसके बाद वे लोग इस दवा के आदी हो गए, उसी तरह आप भी दवा के आदी हो जाएंगे।
तो साथियों, मेहरबान, बंदर छाप दंतमंजन ले जाएं। दांत में लगाएं और दांतों से मुक्ति पाएं। न रहेंगे दांत और न जरूरत पड़ेगी किसी मंजन की।
भाइयों मेहरबान, दो मिनट का वक्त है तो मैं डाक्टर रूपेश जी की नशा छोड़नी वाली शर्तिया दवा के बारे में बताना चाहूंगा। कंपनी की तरफ से विशेष छूट में या यों कहिए लगभग मुफ्त में ये दवा आपको दी जा रही है। अगर इस दवा को 15 दिन तक आजमाने के बाद भी आप नशा नहीं छोड़ पाते हैं तो फिर आप अपने लौंडों से बोल दीजिए कि वो आपकी कब्र खोदकर अभी से तैयार रखें। तो चलिए, सज्जनों देवियों......दवा के बारे में बतियाते हैं....
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कई नशों से छुटकारे के लिए एक ही रामबाण औषधि
डा. रूपेश श्रीवास्तव
वे लोग जो अन्जाने में ही किन्हीं व्यसनों से ग्रस्त हो गए हैं उनके लिए अपने वर्षों के श्रम ,शोध एवं अनुभव के आधार पर एक रामबाण तरीका बता रहा हूं । मुझे पूर्ण विश्वास है कि इसे आप धन कमाने के स्थान पर लोकहित में ही प्रयोग करेंगे । इसका उपयोग किसी एक विशेष नशे की आदत से छुटकारा पाने के लिए नहीं बल्कि कई तरह के नशों की आदत से छुटकारे के लिए मैंने प्रयोग कराया है और सफलता पाई है । इससे आप यदि इन नशीले पदार्थों के आदी हैं तो फिर देर किस बात की है बस अपने गुरू या इष्ट का स्मरण करके एक बार मन में यह विचार तो लाइए कि आपको उक्त नशा छोड़ना है फिर शेष काम तो यह चमत्कारी औषधि करेगी और कुछ ही दिनों में आप पाएंगे कि जादू हो रहा है कि जिस पदार्थ की आपको जानलेवा तलब होती थी वह पता नहीं कहां विलीन हो गई है । मैंने जिन पदार्थों पर इस श्रेष्ठ औषधि का प्रयोग किया है वे हैं : -
बीड़ी
सिगरेट
चिलम
चबाने वाली तम्बाकू
चाय
काफ़ी
अफ़ीम
अगर मौका लगेगा तो इसे नींद की गोलियां खाने वाले मरीजों के लिए भी अनुभव करूंगा ताकि उनकी इस नामुराद दवा (या जहर) से पीछा छूट जाए ।
पारस पीपल (यह एक बड़ा पेड़ होता है इसके पत्ते अचानक देखने में प्रसिद्ध पेड़ पीपल के पत्तों की तरह होते है तथा भिंडी के फूलों की तरह पीले फूल आते हैं तथा कुछ दिनों में ये फूल गाढ़े गुलाबी होकर मुर्झा जाते हैं ,इस पेड़ को मराठी में "भेंडी " ही कहा जाता है ) के पुराने पेड़ की छाल जो स्वतः ही पेड़ से अलग हो जाती है ,उसको लेकर खूब बारीक पीस कर मैदे की तरह बना लें व शीशी में भर लें । यह बारीक चूर्ण बारह ग्राम लेकर २५० मि.ली. पानी में हलकी आंच पर जैसे चाय बनाते हैं वैसे ही पकाएं और १०० मि.ली. पक कर रह जाने पर छान कर चाय की तरह ही हलका गर्म सा पी लीजिए । सुबह शाम नियमित रूप से पंद्रह दिनों तक सेवन कराने से मैंने पाया है कि मादक द्रव्यों की आदत छूट जाती है तथा नफ़रत सी होने लगती है । एकबार व्यसन छूट जाए तो पुनः इन दुर्व्यसनों को प्रयोग नहीं करना चाहिए फिर व्यसन से मुक्त होने के बाद मैं आदी व्यक्ति को दो माह तक बैद्यनाथ कंपनी का "दिमाग दोष हरी" नामक दवा का सेवन कराता हूं । अगर आपके क्षेत्र में पारस पीपल नहीं पाया जाता है तो किसी महाराष्ट्र में रहने वाले मित्र से मंगवाने में देर न करिए और लाभान्वित होइए । ईश्वर को धन्यवाद दीजिये कि उसने साधारण सी दिखने वाली चीज़ों में कैसे दिव्य गुण भर रखे हैं
(डा. रूपेश के आयुर्वेदिक दवाखाने पर पहुंचने के लिए आगे खड़ी सवारी पर माउस कोंच दें, वो खुद ब खुद आपको उड़ा के ले जाएगा.....रथ तैयार है, दवाखाने तक ले जाने के लिए)
जय भड़ास
प्रस्तुतकर्ताः यशवंत सिंह
सर,ये सब लोग नादान नहीं बदकिस्मत हैं इसलिये अब तक डा.भाई के टच में नहीं आए अगर बीमारी के बहाने ही एक बार मिल जाते तो उद्धार हो जाता
ReplyDeleteजय भड़ास