अभी तीन दिन पुराना बच्चा हूँ भड़ास पर....लेकिन इतने ही दिनों में जिस कदर मेरा उत्साह भड़ास के सम्मानित सदस्यों ने बढाया उसके लिए मेरे पास शब्द नही हैं...सिर्फ़ इतना ही कहूँगा...यशवंत भैय्या, डॉ रुपेश श्रीवास्तव जी, मनीष राज ...मुझ जैसे निहायत साधारण पत्रकार के लिखे पर आपके कमेंट अनमोल हैं उन्हें सहेज कर ही रखना चाहूँगा..साथ ही हर नौनिहाल को इस कदर बढावा देना आप सब के बड़प्पन को ही जाहिर करता है...अपने स्तर पर हर कुछ बेहतर करने की कोशिश करता हूँ..बाकी उसका स्तर तय करने के लिए जब आप जैसे विद्वान् लोग हैं तोः मैं क्यों सोचूं jyada...फ़िर से आप सबका धन्यद...और हाँ..मुन्नवर जी इस्लाम के बारें में बहुत कम जानता था लेकिन धन्याद आपका की इस बेहद शानदार धर्म के बारें में काफी कुछ जान सका...धन्याद रक्षंदा....बेहद खूबसूरत हैं( हम भी कुछ कम नही हैं) और आपके विचार उससे भी कहीं ज्यादा....एक साथ कई रंगों के लोगों को देखकर खुशी से भी बड़ी एक अनुभूति होती है..वो क्या है ये मैं नही जानता...मनीष राज..तुम कमसे कम मेरे दिल पर तोः राज करते ही हो..जाहिर है भड़ास आप सबके इमानदार प्रयासों से तरक्की कर रहा है...और क्या कहूँ...हाँ हरेप्रकाश जी लाजवाब हैं आप॥ अंत में मेरे आदर्श विजय शुक्ला( प्रोड्यूसर, आजतक) जिन्होंने मुझे ये हमेशा एहसास कराये रखा की बेटा चुतियापा मत करो अपनी क्षमताओं का बेहतर इस्तेमाल करो.....उम्मीद है भडास पर रुपेश जी, यशवंत दादा( क्या करें आदत पड़ गई है आपको दादा कहने की), मनीष, हरेप्रकाश जी आप सबको शर्मसार किए बिना कुछ लिख सकूँगा...बहुत छोटा हूँ...अपने छुटपन का एहसास भी बड़ी अच्छी तरह है...उम्मीद है विचारों में कोई छुटपन रहेगा....
पूरी विनम्रता के साथ
आप सबका
हृदयेंद्र
bhai,
ReplyDeleteaap bachche nahi hain,
aap to kamal ke hain, or lekhan se kai ka viket geraya to kai ko dharashayee kiya hai.
badhai.
lage rahiye
Jai Bhadaas
यहां सब छोटे ही हैं और सभी मोटे ही हैं, सभी चूतिये ही हैं, सभी विद्वान ही हैं, सभी शानदार ही हैं, सभी बेकार भी हैं। औघड़ और सूफियों की फौज है यहां। न कोई मजहब, न कोई जाति, न कोई कुंठा, न कोई फांस। दिल सहज, दिमाग सहज, काम सहज, राज सहज। दो दिन की जिंदगानी है, क्या अपनी क्या बेगानी है। लगे रहो बालक। चढ़े रहो बालक। जय भड़ास।
ReplyDeleteभइया,आपने कहा कि तीन दिन पुराना बच्चा हूं लेकिन आप तो गोस्वामी तुलसीदास की तरह पूरी बत्तीसी लेकर पैदा हुए हो और पैदा होते ही लोगों के कान चबाना भी शुरू कर दिया। अगर कभी यशवंत दादा से मुलाकात हो तो मेरी तीन कहानियां सुन लेना(लिखने पर रस खत्म हो जाता है)भड़ास का दर्शन समझ में आ जाएगा। इस मंच पर सभी द्विध्रुवीय व्यक्तित्त्व हैं जितने बड़े विद्वान उतने बड़े मूर्ख दूसरे सिरे पर, जितने बड़े बक्काड़ उतने ही गहरे श्रोता यानि की दोनो ध्रुव संतुलन में हैं। आप आये तो जो कमी थी चूतियों की फौज में वो पूरी हो गयी जल्दी जल्दी तरक्की करके कमान सम्हाल लीजिये वैश्विक चूतियापे की जो जड़ता का उपचार कर रहा है।
ReplyDeleteजय जय भड़ास
yashvant dada aur rupesh ji ne to sab kuchh kah hi dali.ab main kya bolun baapu.
ReplyDeletehriday ke indra kaa ghanghor swaagat hai.