31.5.08

जिन्दगी

जिन्दगी
जिन्दगी हर पल सिखाती रही, पर शायद हम सीख न सके
भुलाने की कोशिस भी बहुत की, पर हम बुरा वक्त भूल न सके
भूलते तो कैसे हम वक्त को, लोग हमको याद दिलाते रहे।
याद भी किया तो किसको, जो हमको हर पल भुलाते रहे।
हम लायक है या नालयक बस इसी सवाल को सुलझाते रहे।
लायक समझके किसी झिड़का, कुल लायक समझ गले लगाते रहे।
कोई कमेन्ट करे न करे बस हमतो दिल की बात लिखते रहे।

2 comments:

  1. यू ही चला चल राही यूं ही चलाचल राही जीवन गाड़ी है समय पहिया......
    चलते रहिये मिश्र जी हम आपके साथ हैं

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  2. अजीत भाई,
    हम सब आपके हाथ हैं, सिर्फ चलिए ही नहीं, वरन बजाते हुए चलिए.
    जय जय भडास

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