30.5.08

आदमी या कुत्ते

yasawant ji

pahali bar BHADAS par POST bhej raha hu. par usame type nahi kar pata is liye word ki file send kar raha hu, ho sake to jagah dejiyega.

SAGAR S PATIl
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(सागर भाई, आपने जो मैटर भेजा था, वो चाणक्या फांट में था। उसे मैंने फांट कनवर्टर के सहारे चाणक्या से यूनीकोड में करके यहां प्रकाशित कर रहा हूं। ....यशवंत)
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आदमी या कुत्ते

सागर एस पाटिल
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आज एक मोबाइल वालों की दुकान में जाने का मौका मिला। वहां दरवाजे पर एक जानवर बना था और नीचे लिखा था हैप्पी टू सी यू और वो जानवर था कुत्ता। तो मन में आया अब यहीं दिन रह गया था देखने के लिए कि एक कुत्ता हमें देखकर खुश हो रहा है। अब आदमी और आदमियत बची ही नहीं हमें देखकर खुश होने के लिए।

खैर जब पत्रकारिता में आया था तभी से कुछ जानवरों की श्रेणी में आ गया था। तब लगा कि शायद यही कीमत रह गई है मेरी और मेरे जैसे और ग्राहकों की जो उस मोबाइल सेवा को ले रहे हैं या लेने की सोच रहे हैं। पर अंदर गया तो कुछ शानदार कपड़े पहने लोग थे। मुझे तो लगा था कि उसी तरह के कुछ जानवर होंगे अंदर।

रिसेप्शन पर एक कुतिया बैठी होगी जीभ निकालकर और लिखा होगा मे आई हैल्प यू या एनी प्राब्लम से टू मी। एक कुत्ता बैठा होगा और लिखा होगा एक्जीक्यूटिव या मैनेजर या और कुछ। लेकिन वैसा कुछ भी नहीं दिखा वहां तो सब आदमी जैसे दिखने वाले ही जानवर थे। मैंने एक सज्जन से मदद मांगी तो उन्होंने पूरे उत्साह के साथ मदद की। जब मैं चलने को हुआ तो देखा उस वैल ड्रेस तथाकथित पढ़ लिखे आदमी की शर्ट पर लिखा था हैपी टू हैल्प यू और नीचे उन सज्जन का नाम लिखा था। तो मुझे लगा कि उन महाशय इनकी पढ़ाई तो गई बेकर क्योंकि बाहर लिखा था हैप्पी टू सी यू और अंदर लिखा है हैप्पी टू हैल्प यू।

मन में इन खयालों को लेकर मैं निकल आया उस दुकान से और मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मेरी भी जीभ लटक गई है मेरी भी पूंछ निकल आई है। हड़बड़ा कर चेक किया तो तसल्ली हुई कि नहीं अभी उस जानवर और मुझमे इतना तो फर्क है कि मेरी जीभ नहीं लटकी है और न ही मेरी पूंछ निकली है। लेकिन क्या पता कब तक..........

sagar s patil
srp1330@gmail.com

3 comments:

  1. सागर भाऊ,हार्दिक अभिनन्दन...
    प्रथम लेख आहे.... खूपच छान.....

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  2. सागर भाई,
    अच्छा प्रयास है, आको बधाई. लिखते रहिये.

    जय जय भडास

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  3. very nice artcle

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