भड़ासी गांधीगिरी उर्फ थू थू अभियान रंग लाने लगा है। आज जीमेल खोला तो देखा कि वहां ब्लागवाणी के पीआरओ अरुण अरोरा जी आनलाइन हैं। मैंने देर न करते हुए उन्हें झट से चैट के रास्ते थू भेज दिया। वो जाने उनके शरीर के किस हिस्से पर पड़ा, वो तिलमिलाये और मुझे भी थोड़ी लानत मलानत सभ्य शब्दों में भेज दी। भई, हम भड़ासी तो ठहरे असभ्य और गंवार लोग। आपने (ब्लागवाणी वालों ने) भड़ास और विस्फोट ब्लाग के साथ जो कुछ किया है, उसका बदला तो लेना ही है, और ये बदला निजी तौर पर नहीं बल्कि गांधीगिरी के जरिए सामूहिक आंदोलन से लिया जा रहा है। अरुण जी ने लास्ट में लिखा कि आखिरी नमस्कार। मेरा कहना है कि अरुण भाई, आपकी तरफ से आखिरी नमस्कार हो सकता है, हम लोग तो आपको जहां देखेंगे, सर कहेंगे और थूकेंगे। ताकि आप लोगों को याद आए कि आप लोगों ने क्या कुछ किया है।
अगर अब भी जमीर हो तो विस्फोट ब्लाग के संजय तिवारी और भड़ास ब्लाग के डा. रूपेश से माफी मांग लो, लिखित या मौखिक, दोनों आप्शन खुले हैं, वरना हम भड़ासी ता-उम्र थू थू अभियान चलाते रहेंगे, जहां मिलोगे वहां थू थू करते रहेंगे।
जय भड़ास
यशवंत
पेश है वो चैट जिसमें भड़ास की तरफ से मैंने ब्लागवाणी के अरुण अरोरा को थू थू भेंट किया...
aroonarora@gmail.com
yashwantdelhi@gmail.com
date 8 May 2008 04:40
subject Chat with Arun Arora
mailed-by gmail.com
04:40 me: sir, thoo.....
maithili ko bhi thoo
Arun: आप ही रखो जी, हम घटिया चीजें नहीं स्वीकारते
ना ही, घटिया बातों में पड़ते हैं जी
आखिरी नमस्कार
अरोरा जी थू....थू....थू...
ReplyDeleteमैथिली जी थू...थू...थू...
अरे दादा,आप समझे नहीं क्या? उन्होंने आपको "आखिरी नमस्कार" करा यानि कि उन्होंने आपकी बात दिल पर ले ली और आत्महत्या करने चले गये हैं; अरे अरोरा जी बड़े फुसफुस निकले आखिरी नमस्कार करके दुनिया ही छोड़ने का इरादा बना बैठे इस थुक्का थुक्की के खेल में। आत्महत्या और ढिठाई दोनो छोडो़ और सत्य का सामना करो प्यारे.....
ReplyDeleteअरोरा जी और मैथिली जी, हम यूपी वाले तो थू थू में भी छोटा वाला और बडा वाला निकाल लेते हैं। जहां मिलोगे वहीं रख कर देंगे थू थू।
ReplyDeleteमेरी तरफ़ से थू-थू के साथ लानत मलानत भी.
ReplyDeleteवरुण राय