8.5.08

मुरझा गया, कुम्‍भला गया

मुरझा गया, कुम्भला गया
फूल जो अभी कल तक
खुशबू बिखेरा करता था
पर, आज अचानक झर गए,
उसकी सांसों के पत्‍ते
होठों की पंखुडि़यों का,
हिलना बन्‍द हो गया
मूक हो गया सदा के लिए,
बेहद गहरी नींद सो गया
तमाम उम्र महकाया मधुबन
फिक्र कांटों की नहीं की
प्रचंड हवा के सहे झोंके
फिर भी मुस्‍काता रहा
तपती धूप में जलकर भी,
जीवन का अर्थ बतलाता रहा
न जाने क्‍यों आज उसने,
आंखे अपनी मूंद ली
पता नहीं क्‍यों अपनी हस्‍ती
शून्‍य में विलीन की
छा गया उपवन में वीराना,
भूल गईं कलियां मुस्‍काना
क्‍या अब केवल अब यादों में ही,
रहेगा उसका आना जाना।

दोस्‍त की मां के निधन पर लिखी कविता
भागीरथ

4 comments:

  1. अरे भागीरथ भाई, सबको एक दिन जाना है और सभी जायेंगे, हमारे साथ कुछ रहता है तो बस हमारी अम्मा का आशीष. और जब तक ये है हम कैसी मुरझाने देंगे कुम्भ्लाने देंगे.
    मैया की सदा जय हो.
    अच्छी कविता रची है.
    बधाई.

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  2. संवेदनाओं से भरपूर कविता। भागीरथ भाई रजनीश भाई ने सही कहा सब कुछ फानी है।

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  3. भागीरथ जी, काफ़ी संवेदना से परिपूर्ण कविता है,
    और वाकई ये अनुभव ऐसा होता है, कि जिस वक्त इंसान बडे अजीब से दौर से गुज़रता है।
    ऐसी ही विषम परिस्थिती से कुछ महीने पहले मुझे भी गुज़रना पडा था और तब मैने भडास पर किसी
    की ये कविता पोस्ट की थी, जो कि श्मसान में
    लिखी हुई थी, आशा है इसे पढ कर कुछ
    सम्बल मिले...

    दो गज कफ़न का टुकड़ा तेरा लिबास होगा।
    दो गज कफ़न का टुकड़ा तेरा लिबास होगा।
    जायेगा जब यहां से कुछ भी न पास होगा॥
    कंधे पर धर ले जायें, परिवार वाले तेरे।
    यमदूत ले पकड कर डालेंगे घेरे घेरे॥
    पीटेंगे छाती अपनी, कुनबा उदास होगा।
    दो गज कफ़न का टुकड़ा तेरा लिबास होगा।
    चुन चुन के लकड़ियों मे रख दें तेरे बदन को।
    आकर झट उठा लें श्मसानी तेरे कफ़न को।
    देवेगा आग तुझमे बेटा जो खास होगा॥
    दो गज कफ़न का टुकडा तेरा लिबास होगा।
    मिट्टी मे मिले मिट्टी, बाकी ना कुछ भी होगा।
    सोने सी तेरी काया जल कर के खाक होगी।
    दुनिया को त्याग, तेरा मरघट में वास होगा।
    दो गज कफ़न का टुकडा तेरा लिबास होगा॥
    हरी का नाम लेके, भव सिन्धु पार होते।
    माया के मोह में फ़ंसकर, जीवन का मोल खोते॥
    प्रभु का नाम जप ले, बेडा जो पार होगा।
    जायेगा जब यहां से कुछ भी ना पास होगा॥

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  4. भागीरथ जी
    क्या अब केवल यादों में ही
    रहेगा उसका आना जाना...

    यही सच है भाई। क्या किया जाए। चाहे जितना हाय हाय कर लें, एक दिन हम सबको एक एक कर विदा हो जाना है इस दुनिया से। यही सच है। इस कड़वे सच को लोग भूल जाते हैं और पूरी जिंदगी जाने क्या क्या पाने के लिए पगलाए रहते हैं।

    दोस्त की मां को हम श्रद्धांजलि देते हैं और ईश्वर से अऩुरोध करते हैं कि वो आपके दोस्त को ताकत दे।

    यशवंत

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