आज मैं पहली बार भड़ास के प्रवक्ता श्री रजनीश के.झा जी से रूबरू मिला। नई मुंबई में ही वाशी में फिलहाल रह रहे हैं लेकिन महानगर की व्यस्तता के चलते आमने-सामने मिलने का समय नहीं निकाल पाते थे। आज घेर-घार कर बुला ही लिया। प्यारे से नौजवान रजनीश भाई रचनात्मक ऊर्जा से लबरेज, प्रेम से छलकते एक चिरस्थायी मुस्कान लिये मिले और यकीन मानिये कि जब हम दोनो गले मिले तो पल भर के लिये पूरा पनवेल रेलवे स्टेशन हमारे जहन से निकल गया और हम दोनो ऐसे मिले जैसे हिंदी फिल्मों के मेले में बिछुड़े भाई हों। उसके बाद घर आने पर दोपहर का खाना खाया और दुनिया जहान की चर्चा कर डाली इसी बीच अन्नपूर्णा देवी का अवतार बन कर भड़ास माता अपनी मुनव्वर आपा प्रकट हो गयीं। घर से सोयाबीन की वड़ी की सब्जी बना कर लायी थीं पांच मिनट की मुलाकात के बाद आपा को अंधेरी जाना था तो वे फिर मिलने की कह कर चली गयीं। हम दोनो ने खाना खाया भड़ास को जिया जी भर कर। बस ऐसा लगा कि मेरा पानी जैसा फ़ीका सा व्यक्तित्त्व रजनीश भाई जैसे सरल और प्यार से भरे व्यक्ति से मिल कर उनकी मिठास से शर्बत जैसा हो गया। उन्हें छोड़ने का हरगिज़ दिल नहीं कर रहा था इस लिये मैं उन्हें वाशी तक भेजने गया क्योंकि उनको ड्यूटी भी जाना था। उअनके जाने के आद ट्रेन तो चली गयी और मैं रीता-खाली सा वापस आ गया हूं मन में यही बात लिये कि हमारा भड़ास परिवार कैसे रिश्ते बना रहा है जो कि रक्त संबंधों से कहीं ज्यादा मजबूत हैं। हमारे बीच जमीनी दूरी कितनी भी हो लेकिन दिल तो जुड़े ही हैं और ये संबंध आजीवन रहेंगे।
जय जय भड़ास
ओ गोरे-गोरे बांके छोरे कभी मेरी गली आया करो...... ;)
ReplyDeleteभरत मिलाप जैसा रहा सब कुछ, पढ़कर अच्छा लगा.....आप लोगों की जोड़ी में हमेशा प्यार बढ़ता रहे...आमीन
ReplyDeleteये डॉक्टर साब का प्यार है, बड़े भाई का बड़प्पन, डॉक्टर साब के व्यक्तित्व के आगे मैं अपने आप को बहूत छोटा महसूस कर रहा था. मगर भाई और भैयारी में सिर्फ प्यार होता है और ऐसा रहा की जैसे सारी दुनिया हम भूल गए हों.
ReplyDeleteवैसे दद्दा सचमुच ये भारत मिलाप ही रहा, लिखने को बेताब हूँ मगर शब्दों की तलाश है.
आप लोगों को इस आधुनिक भारत मिलाप की शूटिंग करनी चाहिए थी ताकि हम भी उस ऐतिहासिक क्षण का आनंद ले सकते.
ReplyDeleteवरुण राय
aise hi mila kro jee...hm sun-sun ke bauraye jate hain
ReplyDelete