5.5.08

दोहे पुराने - अंदाज नया

१ बुरा हुआ तो क्या हुआ
जैसे ब्लॉग भड़ास
चाटुकारिता करते नहीं
है आदत इनकी ख़ास ।
२ भड़ास चमचई न करे
भड़ास न चाटे तलवा
इसके एक-एक पोस्ट पर
रोज होए बलवा ।

३ लिखत लिखत भड़ास पर
जड़मत होत सुजान
कुछ दिन की ब्लोगिंग से
जग सारा जाए जान ।

४ भाषा ऐसी पेलिए
बिन बात के पंगा होय
औरन को नंगा करे
ख़ुद भी नंगा होय ।

जय जय भड़ास ।
वरुण राय

3 comments:

  1. जय हो तुलसीदास जी के नव भड़ासावतार की...

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  2. वाह वाह,
    क्या कविता पेली है. लग रहा है कि पता नहीं किस किस को क्या क्या पेलेंगे.
    भैया आपके इस नए दोहावतार को हमारा वंदन है.
    जय जय भडास.

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