7.5.08

कितने ब्लागों का खून पीकर शांत होगा मैथिली

.....भड़ास की गांधीगीरी....
ब्लागवाणी, मैथिली और इनके पीआरओ अरुण अरोरा पर थू....


ब्लागवाणी जो ब्लागों के कई एग्रीगेटरों में से एक है, के संचालक मैथिली गुप्ता ने एक औ ब्लाग विस्फोट की जान ले ली है। इससे पहले भड़ास पर काली नजर डाली और उसे ठिकाने लगाने की कोशिश की, पर उसकी कुत्सित साजिशों के सामने हम झुके नहीं, उठ कर खड़े हुए और हाथी की माफिक आगे बढ़ गए। वो कुत्ते की माफिक पीछे भोंकता रह गया। उसके उखाड़े कुछ भी न उखड़ा। एक भी पाठक भड़ास से कम नहीं हुए बल्कि उल्टे कई पाठक बढ़ गए और आज भड़ास दुनिया का सबसे बड़ा हिंदी ब्लाग बन चुका है।

पर मैथिली की शतरंजी चालों, जो कुछ मठाधीश ब्लागरों के इशारे पर चली जा रही थीं, से नाराज होकर या उकताकर या स्तब्ध होकर विस्फोट ब्लाग के मुख्य माडरेटर संजय तिवारी ने उसे डिलीट कर दिया।

मैथिली को पसंद नहीं था कि विस्फोट के सदस्यों में यशवंत सिंह और डा. रूपेश और वरूण राय और ....कई भड़ासी साथी क्यों शामिल कर लिए गए....और तो और उसने संजय तिवारी को फोन कर इस बात पर आपत्ति भी जताई कि अब जब भड़ासी टाइप के लोग विस्फोट की टीम में शामिल हो गए, क्यों न विस्फोट को ब्लागवाणी से हटा दिया जाए। और...इस तानाशाह मैथिली ने, कुछ हाथों की कठपुतली मैथिली ने विस्फोट को ब्लागवाणी से हटा भी दिया।

आपको यकीन न हो तो हिंदी के पहले ब्लागर आलोक कुमार की इस पोस्ट को जरूर पढ़ें। उन्होंने साफ साफ लिखा है कि ब्लागवाणी के चलते विस्फोट विस्फोटित हो गया।

आप सभी भड़ासी ब्लागवाणी और मैथिली पर थू थू करें और इसके जरिए अपने गुस्से और भड़ास का इजहार करें।

शुरुवात मैं खुद करता हूं....

ब्लागवाणी, मैथिली और इनके पीआरओ अरुण अरोरा पर थू....

ये भड़ास की गांधीगीरी है, इसमें आप भी शामिल हों और एक बार थू थू कर दें.......

जय भड़ास
यशवंत

8 comments:

  1. थू करना गांधी का तरीक़ा नहीं था। ये सही गांधीगीरी नहीं है।

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  2. गांधीगिरी के साथ अगर राजी हों और कुछ लोग ज्यादा करना चाहें तो थू थू के साथ सू सू भी कर दें ...
    जय जय भड़ास

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  3. अविनाश क्या आप गांधी जी को व्यक्तिगत तौर पर जानते हैं कि थूकना उनका तरीका नहीं था,गांधी जी के सिद्धांतो और अधुना गांधीगिरी में बुनियादी अंतर है। हम इस नवसिद्धांत के पक्ष में हैं जिसमें सू सू करना भी मान्य है("थू करना गांधी का तरीक़ा नहीं था" से आपका क्या मतलब है गांधी का अभिप्राय महात्मा गांधी ही हैं न,असल में कोई आदरसूचक शब्द आगे-पीछे जुड़ा न देख कर भ्रम हो रहा है या फिर आप उनके हमउम्र हैं जो बस गांधी कहकर काम चला लेते हैं)
    सू सू सू सू.... इतनी ज्यादा सू सू कि सूनामी आ जाए और इन जैसे दुष्ट बह जाएं...
    जय जय भड़ास

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  4. मैं थू थू के पक्ष में नहीं हूं इन्हें तो शिवाम्बु से ही स्नान कराना ठीक रहेगा लेकिन अगर आप बस थूकने को को कह रहे हैं तो यही सही...
    थू थू थू सारे जीवन भर का थूक मैथिली और उनके हितचिंतकों को समर्पित है.....
    भड़ास ज़िन्दाबाद

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  5. सारे लैंगिक विकलांगों की तरफ से थू और सू के साथ गू भी इन पर......
    जय भड़ास

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  6. यशवंत भाई,
    क्या भड़ासी लोग सार्वजनिक रूप से जान पाएंगे कि तिवारी जी ने विस्फोट को बंद क्यों किया,इसके पीछे उनकी सोच क्या थी , क्योंकि मेरा मानना है कि इस तरह से तो ब्लोग्वाणी की कुत्सित चाल सफल हो गयी . इतनी मधुर भाषा को को कलंकित करने वाले इस नामधारी को सबक सिखाने के लिए कुछ ठोस करना होगा .
    थू थू थू थू थू ---------थू.
    वरुण राय

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  7. थू... थू...... थू.....
    वैसी दद्दा रुपेशा भाई ने सही कहा सालों के ऊपर सु..सु..सु..गु..गु..गु ..... ये भी कम होगा.

    वैसी अविनाश जी अपने गाँधी के बारे में स्पष्ट करें तो बारे मेहरबानी. क्योँ कि हम तो गाँधी जी के थू..थू..थू. . के प्रबल पक्षधर है. मगर गाँधी जी के, रुपेश भाई वाले गाँधी के नहीं खी...खी...खी....

    ससुरे ब्लोग्वानी और मैथिली का नाश हो जाए. ई ससुर मैथिलिवा नाम के बिलकुल उलट बा हो. अबे क्योँ मेरी माँ मैथिली का नाम बदनाम कर रहे हो जिसने सब कुछ त्याग कर भी सिर्फ दिया मगर आप ....... ? मैथिली नहीं थू...थू....थू...

    जय जय भडास

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