यशवंतजी, २०,जून से २२जून तक मैं अखिल भारतीय भाषा साहित्य सम्मेलन के राष्ट्रीय अधिवेशन के सिलसिले में भोपाल प्रवास पर रहूंगा,इसिलए अपने नियमित रचनात्मक व्यायाम को चाहकर भी तीन दिन जारी नहीं रख सकूंगा। मुझे भड़ासी परिवार की ओर से इन तीन दिनों आकस्मिक अवकाश पर समझें। और उन्हें भी इन दिनों मेरी रचनाओं को रोज-रोज झेलने के श्राप से मुक्ति का वरदान प्रदान करें। धन्यवाद।
जय भड़ास...जय यशवंत...।
भाई लोगों,
ReplyDeleteजश्न मनाने का टेम आयेला है कयुंकी अभी कुछ दिन ये पंडित हमे नही पका रियेला है सो जम के दारु सारु पीने का ओर टुल्ली रहने का क्या :-P ;-)