भाई यशवंत , मैंने करुणाकर के बारे पढ़ा। बहुत दुःख भी हुआ की एक होनहार किस तरह से मौत से लड़ रहा है। लेकिन मैं इस बात से खुश हूँ की भड़ास के साथियों ने किस तरह से करुनाकर के मदद के लिए पहल की है । मैं भी औरंगाबाद के अपने भाइयों के साथ मिलकर करुनाकर खाते मैं पैसे डालने का निशचय किया है । एक-दो दिन यह कम पूरा हों जाएगा। मैं डॉक्टर रुपेश्जी का भी बहुत ही शुक्रगुजार हूँ , जिन्होंने करुनाकर के लिए मानवता का परिचय दिया है। अमित भी साधुवाद के पात्र है। अब अगले पोस्ट में फिर बातें होंगी।
जय भड़ास
dhanyabaad aap sabse mujhe yahee ummeed thee.
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