25.6.08

प्रिंसीपल रिचा बावा चौहरे कत्ल की सीबीआई जांच

आरूषि व हेमराज हत्याकांड को नोयडा में बैठी अंतरराष्ट्रीय मीाडिया जिस तरह महिमामडिंत कर रही है, मान लेते हैैं कि ठीक है। लेकिन देश के भागों में ऐसे कई अनगिनत हत्याएं हो रही हैैं, जिसमें राजनेता से लेकर पुलिस के आला अधिकारियों की सांठ-गांठ होती हैैं। दिल्ली में बिल्ली छत से कूदती है तो उसे क्भ्भ् देश देखता है, लेकिन जब दिल्ली के बाहर कोई बड़ी घटना घट जाती है तो उसे कोई नहीं देख पाता। आरूषि-हेमराज हत्याकांड के पीछे की सच्चाई जानने में जुटी नोयडा व दिल्ली की प्रिंट व इलेक्ट्रानिक मीडिया को जालंधर (पंजाब) में चौहरे कत्ल के राज से भी पर्दा उठाने की कोशिश करना चाहिए। पंजाब में जालंधर को माडिया सैैंटर माना जा रहा है, लेकिन जालंधर में एक ही रात में चार लोगों का कत्ल होता है, कुछ दिन तक पुलिस के साथ-साथ मीाडिया दिग्गज अंधेरे में तीर चलाते हैैं, बाद में पुलिस चुप के साथ मीडिया चुप हो जाती १९० दिन बाद भी पुलिस को कोई अहम सुराग नहीं लगा है। सबसे बड़ी बात तो यह कि जालंधर में जिसकी हत्या की गई वह कोई ऐरी गैरी नहीं थी, बल्कि समाज की प्रतिष्ठित महिला थी। जालंधर के कन्या महाविद्यालय (केएमवी) की तेजतर्रार प्रिंसीपल रिचा बावा थीं। जिनका समाज के कई तबकों से तालुक था। शिक्षा जगत में अपने नाम की लोहा मनवा चुकीं रिचा बावा का नाम राजनीति गलियारों से लेकर बालीवुड के उम्दा कलाकारों के साथ जुड़ा रहा। जालंधर ही नहीं पंजाब, दिल्ली, कलकत्ता, हिमाचल, नोयडा, मुंबई और देश के अन्य स्थानों पर उनके अच्छे जानने वाले थे। पर ऐसा क्या हुआ कि एक ही रात में उनके चौकीदार समेत उनकी हत्या कर दी गई। पुलिस भले ही जांच टीम का बहाना बनाकर मामले से पर्दा न उठाना चाहे, लेकिन खुद सरकार भी इस मामले से परदा नहीं उठवाना चाह रही है। अरूषि-हेमराज हत्याकांड की यूपी की मुख्ममंत्री से दिलेरी दिखाते हुए जांच सीबीआई को सौंप दी, जबकि पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल को अपनी पुलिस पर ही यकीन है। बावजूद 5 महीने से ऊपर होने को हैैं, पुलिस अभी तक हत्यारों का सुराग तक नहीं लगा सकी। ऐसे में पंजाब पुलिस और पंजाब सरकार दोनों कठघरे में हैैं। पंजाब सरकार इसलिए कठघरे में है कि जालंधर के भाजपा विधायक केडी भंडारी द्वारा सदन में सीबीआई जांच करने की मांग को अकाली-भाजपा सरकार ने यह कह कर मना कर दिया कि पुलिस जांच करेगी।
क्रमश : -
महाबीर सेठ, जालंधर

No comments:

Post a Comment