सतना जब में आया तो यंहा के मीडिया में एक अजब सी shथिति देखने को मिली। यहाँ के मीडिया कर्मी के पास कोई जानकारी हो या न हो । बस अफवाह के पीछे भागना सुरु कर देते हैं। कई बार ये भी देखने को मिलता है कि एक ही ख़बर को पेपर खंडन करते नज़र आ जाते हैं। एसे ही एक घटना लगभग २-३ माह पहले सतना के जंगलो में १ बाघ को शिकारियों ने गोली मार दी थी। नव भारत के अनुसार शेर के सरीर से गोलिया प्राप्त हुई, वह्नी दैनिक जागरण के अनुसार शेर को गोली लगी ही नही थी। अब पाठक किस पेपर कि ख़बर पर भरोसा करे, पाठक दुबिधा में था। क्या मीडिया में एसा होना चाहिए ?
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