23.7.08

बदल डालो उसे , बह रही हवा जो .................

बदल डालो उसे , बह रही हवा जो .................

प्रो. सी.बी. श्रीवास्तव "विदग्ध"
विद्युत मंडल कालोनी , रामपुर , जबलपुर
मो. ०९४२५४८४४५२

देश ने तो तरक्की बहुत की मगर , देश निष्ठा हुई आज बीमार है
बोलबाला है अपराध का हर जगह , जहाँ देखो वहीं कुछ अनाचार है


नीति नियमों को हैं भूल बैठे सभी , मूलतः जिनके हाथों में अधिकार हैं
नहीं जनहित का जिनको कोई ख्याल है , ऐसे लोगों की ही भरमार है
सोच उथला है , धनलाभ की वृत्ति है , दृष्टि ओछी , नहीं दूरदर्शी नयन
कुर्सियाँ लोभ के हैं भँवर जाल में , दूर उनसे बहुत अब सदाचार है

नियम और कायदे सिर्फ कहने को हैं , हर दुखी दर्द सहने को लाचार है
योजनायें अनेकों हैं कल्याण हित , किंतु जनता का बहुधा तिरस्कार है
सारे आदर्श तप त्याग गुम हो गये , बढ़ गया बेतरह अनीतिकरण
दलालों का चलन है , सही काम कोई चाह के भी न कर पाती सरकार है

देश कल कारखानों से बनते नही , देश बनते हैं श्रम और सदाचार से
देश के नागरिको की प्रतिष्ठा , चलन , समझ श्रम , गुण तथा उनके आचार से
है जरूरी कि अनुभव से लें सीख सब , सुधारे आचरण और वातावरण
सचाई , न्याय ,कर्तव्य की लें शरण , देश से अपने जो तनिक प्यार है

बदलने होंगे व्यवहार सबको हमें , अपने सुख के लिये देश हित के लिये
जहाँ भी है आज तक अंधेरा घना , जलाने होंगे उन झोपड़ियों में दिये
देश में आज जो सब तरफ हो रहा देख उसको जरूरी है नव जागरण
क्योंकि जो पीढ़ियाँ आने वाली हैं कल उनको भी सुख से जीने का अधिकार है

जो सरल शांत सच्चे हैं वे लुट रहे , सब लुटेरों के हाथो में व्यापार है
देश हित जिन शहीदों ने दी जान थी क्या यही उनकी श्रद्धा का उपहार है ?
है कसम देश की सब उठो बंधुओं ! बदल डालो उसे बह रही जो हवा
बढ़े नैतिक पतन हित हरेक नागरिक और नेता बराबर गुनहगार है .


प्रो. सी.बी. श्रीवास्तव "विदग्ध"
विद्युत मंडल कालोनी , रामपुर , जबलपुर

3 comments:

  1. हां भाई,बदल डालो बदल डालो इस देश की जनता बदल डालो... नहीं हो सके तो जनता की मानसिकता बदल डालो....अगर ये भी न हो सके तो ये देश बदल डालो और खुद पुर्तगाल चले जाओ फिर बाद में सारे भड़ासियों को बुला लीजिये .....

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  3. रुपेश भाई,
    पुर्तगाल क्यौं, कोइ चक्कर वक्कर तो नही चला रखी है वहां । चलिये बदलने के इस मुहिम में मुझे भी ले चलना पुर्तगाल :-P ओर हां विवेक भाई पोस्ट को एक ही बार लोग पढ लेते हैं तीन बार पढाओगे तो भडासी भी बोर हो जायेंगे। ;-)
    जय जय भडास

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