23.7.08

करात और आडवाणी को तमाचा, राजनैतिक नेतृत्व का सफल इम्तिहान.

विजयी मुस्कान।

कल का दिन भले ही लोकसभा में उथल पुथल भरा रहा, आरोप और प्रत्यारोप के साथ संसद की गरिमा भी तार तार हुई, मगर इन सभी के आदि हो चुके नेता और जनता के लिए लिये ये बात एक घटना से अधिक ना थी । कुछ नया और अदभुत था तो वो हमारे प्रधान मंत्री का करिश्मा.
बेहद नाटकीय घटना क्रम में डाकटर मनमोहन सिंह ने जिस कुशलता और राजनैतिक कौशल से अपने नेतृत्व गुण का लोहा मनवाया ने सच में बहुतों बडे दिग्गजों ओर धाकडों के होश उडा दिये होंगे। सबसे बडा ओर जोरदार तमाचा तो आडवानी के साथ तमाम विपक्षी के गाल पर कि एक छोटा सा दिखने वाला अदना सा मैडम के साये के साथ चलने वाला एक कुशल राजनेता कैसे हो गया। भाइयों वो कहावत है कि गुरु गुड ओर चेला चिन्नी। पुर्व प्रधानमंत्री श्री पी वी नरसिम्हा राव के चेले ने साबित कर दिखाया कि वो सिर्फ़ एक अर्थसाश्त्री ही नही वरन आज के दौर का कुशल राजनेता बन चुका है। हथकन्डों के साथ संसद में पहुंचे सांसदों के सारे हथकन्डे धरे के धरे रह गये ओर छोटा सरदार सब पर भारी पडा।

आडवाणी जी गाल सहला रहे होंगे ओर करात की साढे चार साल की चिख चिख सौदेबाजी का भी अन्त। खिसियानी बिल्ली खम्भा नोचे, आज के लोन्डे नेता ओर सांसद बडे दादा को राजनीति का पाठ दे रहें हैं।

वाह रे भारत, वाह रे भारतीय राजनीति ओर वाह रे हमारे देश के कर्णधार नेता।

जय जय भडास

3 comments:

  1. बू ऊ ऊ ऊ उ उ उ.......
    क्या भाई आपको क्या हो गया ?????
    रजनेताओं की सराहना करने लगे ??? क्या इस जीत से ये सिद्ध हो गया कि सरदार जी बड़े नेता हैं???? अरे ये सिद्ध हो गया कि जनता बड़ी चूतिया है....

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  2. रजनीश भाई,
    ये सब क्या कर रहे हो, संसद में और संसद के बाहर जो भी हुआ उसकी गवाह पूरी दुनिया है,
    जितनी थू थू पूरी भारतीय लोकतंत्र की हुई है उससे बाहरी मुल्कों में सर उठा कर चलना मुश्किल
    हो जाएगा, और इस सब तमाशे में मनमोहनसिंग भी शामिल थे इसीलिए उन्हें बरी नही किया जा सकता,
    पूरी जिन्दगी बेदाग़ राजनीति करने का मतलब ये नही हो जाता की आपकी गलतियाँ माफी योग्य हों.
    मनमोहन सिंग भले ही इस तमाशे में प्रत्यक्ष शामिल नही हों लेकिन मूक सहमती का मतलब आम जनता ओर क्या निकालेगी.

    संजीव परसाई

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  3. रुपेश भाई और संजीव भाई,
    ना मैं किसी की तरीफ़ कर रहा हूं ना किसी से मुगालता है, कहने का तातपर्य सिर्फ़ इतना कि छोटे सरदार को छोटा समझने कि कीमत अदा की है देश के बडे बडे राजनेतओं ने।
    जय जय भडास

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