30.9.08
ऐसी नौकरी का क्या फायदा जिसमें अपनों को कन्धा देना भी नसीब न हो
बड़े दुःख के साथ आप सभी को सूचित करना पड़ रहा है की आज सुबह मेरे नाना जी का स्वर्गवास हो गया । उनको ब्रेन हैमरेज हुआ था और इसकी वज़ह से पुरे शरीर में लकवा मार गया था । और इससे भी बड़े दुःख की बात ये हुई की सब कुछ जानते सुनते हुए भी मैं उनकी लाश को कन्धा नहीं दे पाया । उनकी इस असामयिक मृत्यु से उत्पन्न दुःख में मैं बस इतना ही कर पाया की अपने ऑफिस नहीं गया ।दिन भर बस यही सोचता रहा की ऐसी नौकरी का क्या फायदा जिसमें अपनों को कन्धा देना भी नसीब न हो ? मुझे दिल्ली से आजमगढ़ जाना भी न हो सका । माता जी फ़ोन पर मृत्यु का समाचार देते देते रो पड़ीं । मेरे समझ में नहीं आ रहा था की मैं क्या बोलूं । दिन भर ख़ुद को धिक्कारता रहा हूँ । देखता हूँ शाम को नीद आती है या नही ?
ab kuchh or kar bhee nahin sakte
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