1.10.08
आदमी नमक प्राणी
आदमी एक पालतू , सामाजिक प्राणी है।यह नौकरी करता है। दूकान करता है। तनख्वाह लाता है। बच्चे खिलाता है। उन्हें पीठ पर बिठाता है। अजीब शकले बना बना कर हंसाता है। बहलाता है। अपनी मादा की खिदमत जितनी दौड़ धुप करता है, उतनी कोई भी जानवर नही करता। इसलिए इसके सींग गायब हो गए। खुर घिस गया और पूछ भी गायब हो गई।दुनिया में आदमी की दो नसले होती है। एक शादीशुदा और एक कुंवारे। वैसे एक तीसरी नस्ल भी पाई जाती है।शादी शुदा की भी दो नसले होती है. एक नैतिक जो अपनी पत्नी के अलावा किसी की तरफ़ नजर उठा कर नही देखते और एक अनैतिक जिनमे घूरने का गुन होता है।शादी शुदा आदमी को अपनी औलादों से ज्यादा कुछ सूझता नही है। वैसेकुछ ऐसे भी होते है जो अपने पड़ोसी के बच्चो की चिंता ज्यादा करते है।कुंवारे आदमी मस्त होते है। अपनी मर्जी के मालिक , मगर वोह काम शादी के बाद ही आते है क्युनके वे पालतू नही होते। अपनी मर्जी से सोते है और अपनी मर्जी से उठ ते है। हालांके उनको नींद शादीशुदा जैसी नही आती और रात भर करवट बदल ते रहते है।शादी की रस्म में आदमी की एक नस्ल का रूपांतरण दूसरी में हो जाता है। वह पालतू बन जाता है।वैसे सब नाचते है, शादी के समय।कुंवारे इसलिए नाच ते है, की कभी उनकी भी शादी होगी। और शादीशुदा इसलिए नाचते है, की चलो अपनी तरह यह भी गया काम से।
namak ko haram nahin karna chahiye
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