22.11.08

गाफिल इतना सस्ता नहीं है....!!


इतना तनहा रहना भी अच्छा नहीं है....
सबसे जुदा रहना भी अच्छा नहीं है....!!
हर बात पर हैरत से आँखें फैला दे
आदमी अब इतना भी बच्चा नहीं है....!!
खुदा के नाम पर दे खुदा को ही गच्चा....
पक गया है ये अक्ल का कच्चा नहीं है..!!
आदमी के साथ मिल-बैठ मैंने जाना है ये
आदमी में अब रत्ती-भर भी बच्चा नहीं है..!!
आओ सब मिलके मुहब्बत को दफन कर दें
कि इसके बगैर तो अब कोई रास्ता नहीं है !!
तू आए और तेरे आते ही तेरे साथ चल दे...?
ओ कज़ा,"गाफिल"अभी इतना सस्ता नहीं है !!

1 comment:

  1. सच में आदमी है शुमार से बाहर.....पर मुहब्बत को दफ़न करके उसे तमाम उम्र क्यों बख्श रहें हैं? "ओ कज़ा,"गाफिल"अभी इतना सस्ता नहीं है !!" अच्छा लगा.

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