भारत में ईसाई धर्म दो अलग से नहीं समझा जा सकता है। केरल में ईसाईयों और हिन्दुओं के बीच विशिष्ट सांस्कृतिक सम्बन्ध है। यहाँ पर कुछ ऐसे उदाहरण प्रस्तुत किए जा रहे है जिससे यह समझाने में मदद मिलेगी की किस तरह ईसाईयों तथा हिन्दुओं के समजिद जीवन के बहुत से पक्षों में समानता होती है।
पंचांग तथा काल --
ईसाई युग के ८२५ वर्ष बाद मलयालम युग शुरू हुआ। गिरिजाघरों और कब्रों पर लगे पत्थरों आदि की तिथियों का निर्धारण करने में मलयालम युग का उपयोग होता है।
शुभ और अशुभ के संदर्भ में दिनों का विशेष महत्व है। हिंदू व् ईसाई दोनों मंगलवार तथा शुक्रवार को शुभ दिन मानते है। इस दिन तेल आदि लगाकर स्नान किया जाता है।
घरों का निर्माण --
ईसाई तथा हिंदू एक सामान रीति-रिवाजों का पालन करते है। ईसाई लोग थक्कू शास्त्र के नियमों को मानते है। वे थक्कन में पूरा विश्वास रखते है। एक परम्परागत घर का निर्माण करने वाले ने कहा है "इस समबन्ध में ईसाईयों का हिंदू शास्त्रों पर पूरा विश्वास है। वे जानते है की अगर वे निर्देशों का पालन नहीं करेंगे तो घर पर कोई विपत्ति आ सकती है। " हिन्दुओं की तरह वे भी ओणम तथा विशु त्यौहार मनाते है।
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हिन्दुओं और मुस्लिमों के बीच सामाजिक-सांस्कृतिक रीति-रिवाज साथ-साथ चलते थे। अनेकों मुस्लिम कवि ऐसे है जिन्होंने वैष्णव कविताएँ रची जैसे सैयद मुर्तुजा, चाँद काजी, लाल महमूद आदि। हिंदू देवताओं का मुस्लिम शासन में बहुत सम्मान किया जाता था।
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