21.11.08

गुनाहगार लगे है सभी....!!



गुनाहगार लगे हैं सभी....!!



दिल में बेकली हो तभी हर शाम गुनाहगार लगे है तभी....
शिद्दत हो गर दिल में तो...अपने ही यार लगे है सभी...!!
यार दो बोल मीठा भी बोल दे तो मान जाऊं मैं अभी...
नफरत से लबालब तिरे ये हर्फ़ तो तलवार लगे है सभी....!!
भीतर जो देख ले आदम तो ख़ुद को बदल ही दे अभी...
बाहर तो इक अपने अपने सिवा खतावार ही लगे है सभी..!!
हर कोई हर किसी को माफ़ कर दे तो सब बदल जाए...
मन में बोझ लेकर जीने से जीना भी दुश्वार लगे है सभी..!!
चन्द साँसे ही सौगात में लेकर आयें हैं हम सब यहाँ...
हर नेमत को आपस में बाँट लें,कि यार लगे है सभी....!!
मुहब्बत भरा दिल ये जो अपने पास ना हो "गाफिल"
चूम कर कलियाँ कहें फूल को,कि खार लगे हैं सभी....!!

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