14.12.08

लीक से हटकर .........

प्रिय दोस्तों/आदरणीय लेखकगण..........
आप लीक से हट कर सोचते तो बहुत कुछ हैं........
पर आपकी इस सोच को कोई सुनने को तैयार नहीं.........

और जैसे ही अन्दर दबी इस ‘सोच’ को बाहर लाने की कोशिश करते हैं......

तो फिर अपने ही आप से ‘कन्नी’ काटना आरंभ कर देते हैं, और फिर आपकी वो सोच आपके सीने के अन्दर ही दफ़न हो कर रह जाती है।


पर हम आपकी इस सोच को सीने में दफ़न होने नहीं देंगे....... क्योंकि आपके तरह ही बहुत से लोग ऐसे हैं, जो आपके तरह ही लीक से हट कर सोचते हैं। हम आपके इस सोच को इन्हीं लोगों तक पहुंचाएंगे अपनी मासिक के माध्यम से......


जी हां! एक ऐसी पत्रिका जो वास्तव में लीक से हट कर होगी, और उसका नाम भी लीक से हट कर होगा।


अरे क्या सोच रहे हैं जनाब........ "लीक से हट कर" ही नाम है इस पत्रिका का। दरअसल यह हमारी नहीं बल्कि आपकी पत्रिका है, जिसे हम इसी महीने प्रकाशित करने जा रहे हैं.......


तो फिर अब देर किस बात की। उठाईए क़लम और लिख डालिए अपनी उस नायाब सोच को।


क्योंकि अब वक्त है लीक से हट कर कुछ करने का...... लीक से हट कर कुछ लिखने का........


आप अपनी रचना हमें leaksehatkar@gmail.com पर भेजें।

6 comments:

  1. भाई,बहुत दिनो तक तो मैं अपने चश्मे के नंबर के बढ़ जाने के कारण सूचना एक्सप्रेस को चूसना एक्सप्रेस गलती से पढ़ती रही इसके लिये माफ़ करियेगा अब चश्मा ठीक करा लिया है। "लीक से हटकर" में लीकेज रोकने के लिये कौन सा वाटर प्रूफ़िंग कम्पाउन्ड लगवाया है:)
    जय जय भड़ास

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  2. भाई तहेदिल से स्वागत है आपका !
    मेरी हार्दिक शुभकामनाएं स्वीकार करें !

    आज के समय में लीक से हटकर चलना
    बड़ा जोखिम का काम है जनाब ! अक्सर
    देखा गया हैं कि जो भी लीक से हटकर
    चलने का साहस दिखाता है उसे किनारे
    लगा दिया जाता है !
    लेकिन जब आपने संकल्प ले ही लिया है तो
    हर कदम पर मुझे साथ खड़ा पायेंगे !

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  3. प्रकाश गोविन्द जी,फिर कुछ दिनो बाद साथ खड़े रहने के आदर्शवाद का नशा फाड़ देना ताकि लीक से हटकर काम करने के लिये साहस न जुटा सकें, ठीक है न? जैसा कि आपने डा.रूपेश श्रीवास्तव के लिये आयोजन जुटाया था:)

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  4. मनीषा जी आपको कोई गलतफहमी हो गई है !

    मैंने रूपेश श्रीवास्तव जी के लिए कभी भी, किसी तरह का आयोजन नहीं जुटाया !
    मैंने सिर्फ सहज संवाद स्थापित करने का प्रयास किया था ! उन्होंने कैसी भी प्रतिक्रिया दी लेकिन मैंने प्रतिवाद नहीं किया क्योंकि बहस की दिशा ही बदल गई थी !

    आदर्शवाद को सहारे की जरूरत नहीं होती !
    लीक से हटकर चलने के लिए सदैव संकल्प और साहस की ही जरूरत होती है ! वरना क्या डाक्टर ने बताया है लीक से अलग हटकर चलने के लिए ?

    किस किस को याद कीजिये ,
    किस किस को रोईये !
    आराम बड़ी चीज है ,
    मुह ढक कर सोईये !!

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