मीडिया पर सेंसरशिप थोपने के लिए प्रस्तावित काले कानून के खिलाफ मीडिया के दिग्गज एकजुट हो गए हैं। सभी न्यूज चैनलों के हेड और संपादकीय प्रमुख अपना विरोध दर्ज कराने के लिए जल्द ही प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह से मिलने वाले हैं। पता चला है कि इलेक्ट्रानिक मीडिया के सभी दिग्गज संपादकों के हस्ताक्षरों वाला एक आवेदन प्रधानमंत्री को भेजा जाएगा और उनसे मिलने का वक्त मांगा जाएगा। हस्ताक्षर का अभियान शुरू हो चुका है और लगभग दर्जन भर संपादकों के दस्तखत हो गए हैं। दस्तखत करने वालों में आईबीएन7 के राजदीप सरदेसाई, आशुतोष, एनडीटीवी की बरखा दत्त, पंकज पचौरी, स्टार न्यूज के शाजी जमां, मिलिंद खांडेकर, न्यूज 24 के अजीत अंजुम, सुप्रिय प्रसाद, इंडिया टीवी के विनोद कापड़ी एवं ईटीवी के एनके सिंह शामिल हैं। एक और हस्ताक्षर अभियान चलाया जा रहा है। इसके तहत सभी न्यूज चैनलों के मीडियाकर्मियों से दस्तखत कराया जा रहा है। हजारों हस्ताक्षरों से युक्त यह विरोध पत्र भी सरकार को सौंपा जाएगा।
मीडिया को अपने अधीन करने की सरकारी कोशिशों को बेपर्दा करने के लिए एक नया ब्लाग भी बना दिया गया है। http://www.returnofcensor.blogspot.com/ नाम के इस ब्लाग के माध्यम से पत्रकारों को एकजुट करने की मुहिम शुरू की जा चुकी है। इस ब्लाग पर कई पत्रकारों ने अपने विचार रखे हैं।
इधर, सरकार द्वारा लाए जाने वाले काले कानून पर मीडिया की रणनीति के बारे में न्यूज 24 के मैनेजिंग एडीटर अजीत अंजुम ने कहा कि हम सभी इस प्रस्तावित कानून का विरोध करते हैं और जरूरत पड़ने पर सड़क पर उतरने से भी नहीं हिचकेंगे। सरकार पहले से ही मीडिया पर शिकंजा कसना चाहती थी और मुंबई हमला का प्रकरण उसे एक बहाने के रूप में मिल गया है। आज वह इलेक्ट्रानिक मीडिया को घेर रही है तो कल सरकार का निशाना प्रिंट मीडिया और ब्लाग की दुनिया भी हो सकती है। लोकतंत्र के चौथे खंभे मीडिया की स्वतंत्रता छीनने की कोशिश खतरनाक है। अगर इलेक्ट्रानिक मीडिया से चूक हुई है तो उसके लिए एनबीए ने गाइडलाइन जारी कर दिया है। ऐसे में फिर सरकार सेंसरशिप क्यों लाना चाहती है? मुंबई हमले के कवरेज के दौरान जो भी हुआ उसके लिए सरकारी चूक भी जिम्मेवार था। इलेक्ट्रानिक मीडिया को ठीक से ब्रीफ नहीं किया गया। सरकार ने जब अगले दिन लाइव दिखाने को मना किया तो हमने माना भी। जो नया कानून सरकार ला रही है, उसके लागू होने के बाद सरकार जिस घटना को चाहेगी ‘नेशनल इंटरेस्ट में नहीं है’ कहते हुए इसके प्रसारण को रुकवा देगी। इससे देश की आम जनता की आवाज दबी की दबी रह जाएगी।
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