18.1.09

मुश्किलें.....!!

मुश्किलें उनके साथ जीने में हैं...
जिनके हाथ इतने मजबूत हैं कि
तोड़ सकते हैं जो किसी भी गर्दन....!!
मुश्किलें उनके साथ जीने में हैं...
जो कर रहे हैं हर वक्त-
किसी ना किसी का.....
या सबका ही जीना हराम....!!
मुश्किलें उनके साथ जीने में हैं...
जिनके लिए जीवन एक खेल है...
किसी को मार डालना ......
उनके खेल का इक अटूट हिस्सा !!
मुश्किलें उनके साथ जीने में हैं...
जो देश को कुछ भी नहीं समझते...
और देश का संविधान....
उनके पैरों की जूतियाँ....!!
मुश्किलें उनके साथ जीने में हैं...
जो सब कुछ इस तरह गड़प कर रहे हैं...
जैसे सब कुछ उनके बाप का हो.....
और भारतमाता !!........
जैसे उनकी इक रखैल.....!!
मुश्किलें उनके साथ जीने में हैं...
जिनको बना दिया गया है...
इतना ज्यादा ताकतवर.....
कि वो उड़ा रहे हैं हर वक्त.....
आम आदमी की धज्जियाँ.....
और क़ानून का सरेआम मखौल.....!!
...........दरअसल ये मुश्किलें......
हम सबके ही साथ हैं.....
मगर मुश्किल यह है....
कि..............
हमें जिनके साथ जीने में.....
अत्यन्त मुश्किलें हैं.....
उनको.........
कोई मुश्किल ही नहीं......!!??

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