22.2.09

जंगल का कानून


कुछ दिनों से 'वाइल्ड लाइफ' के प्रति अचानक मेरा रुझान बढ़ गया है या ये कह सकते है; की अचानक मेरा जंगल तबादला हो गया हो । मैंने कहा डिस्कवरी में तो बहुत देखा है थोड़ा आमने सामने से रूबरू होकर भी वाइल्ड लाइफ का लुत्फ़ उठा लिया जाए । हुआ ये की मैं बहुत दिनों से वाच कर रहा था के कान्हा के शेरो के एक समूह में एक ग्रुप लीडर टाइप के शेर ने अचानक एक कुत्ते को ग्रुप में शामिल कर लिया, यही नही अब शेर उसे दहाड़ने, शिकार, मेनेजमेंट के फंडे भी सिखाने लगा। कुछ दिनों में कुत्ते ने सब कुछ ऐसे फोलो किया की मानो जन्मजात शेर हो। अब वह लगभग भूल चुका था कि वह तो कुत्ता हैअब इम्तिहान की घड़ी आई कुछ दिनों तक लीडर, कुत्ते को ग्रुप में ज़माने पल पल साथ रहा। जहा कुत्ता गलती करता और विरोध होता तो लीडर दहाड़ मर कर सब को शांत करा देता।

अब एक दिन लीडर को यकीन हो गया कि अब कुत्ता पुरी तरह से ग्रुप में घुल मिल गया है, और अब वह आराम से उस पर भरोसा कर सकता है।

इधर लीडर सपनो के आसमान में उड़ रहा था तो दूसरी तरफ़ असंतुष्ट शेरो के दिमाग में कुछ और ही चल रहा था। अब लीडर शेर ने ख़ुद आराम से बैठकर कुत्ते को अपना प्रतिनिधि बनाकर ग्रुप के साथ शिकार पर भेजना शुरू किया। इस तरफ़ शेर ने आराम से कुत्ते को ग्रुप के साथ शिकार करने भेजा और उस तरफ़ कुछ ही दिनों बाद ग्रुप नम आँखों के साथ एक दुःख भरी ख़बर के साथ लौटा ।बिलखते बिलखते ख़ुद को संभल कर एक बुजुर्ग शेर ने लीडर को बताया माननीय प्रतिनिधि जी अब नही रहे।

लीडर शेर ने तब तो काल का ग्रास बने अपने प्रति निधि की मौत पर सब से मौन करवा कर शोक व्यक्त करा लिया, लेकिन बाद में मामले की उच्च स्तरीय जाँच भी करा ली मामले में मर्ग कायम कर बॉडी को पोस्ट मार्टम के लिए भेज प्रकरण विवेचना में लिया गया । मामला तब और सनसनी खेज हो गया जब पोस्ट मार्टम के दौरान यह बात सामने आई कि दरअसल वह कुत्ता नही सियार था। जो कुत्ते की खाल पहन कर ग्रुप में शामिल हो गया था । बहरहाल मामला प्रतिष्टा का बन गया था ; साम, दाम, दंड और भेद से जैसे तेसे सियार वाली बात दबाने ग्रुप लीडर ने जोर लगाया और बाकि बातो को दबाने में तो ग्रुप तत्पर था ही । अब शेरो की वारदात में कौन गवाही देकर बुरा बने, लिहाजा मौत पुरी तरह से दुर्घटना साबित हुई और केस फाइल खात्मे में डाल दी गई । इस घटना के बाद मुझे महसूस हुआ कि सरकार के वादे कि शहर कि तरह कस्बो, गांवो और जंगलो के विकास कि बाते मिथ्या नही हैं । जो आरोप लगते है वो जाकर देख लें । मुझे महसूस हुआ की अब जंगल में भी कानून शहर की तरह तरक्की कर रहा है एक बात और सुना है ग्रुप में इन दिनों एक और कुत्ता भाग्य अजमा रहा है और लीडर का खास बनने प्रयास रत है ।

1 comment:

  1. bahut khub sahab bahut khub. agar waqt mile to mera blog bhi dekhen.

    ReplyDelete