लगता है किसी दिल फैंक हसीना की तरह है
कमबख्त जिन्दगी है कि हाथ छोड़ती नही है
कोशिश जरूर की पर अब लगता है मुश्किल
बेडिया है ये समाज की है, टूटती ही नहीं है
बहुत देख चुके है और अब नहीं ख्वाहिश
वही चेहरे पुराने है कुछ बदला तो नहीं है
अब साथ में जो है तो कमबख्त यही है अच्छी
अब "जिन्दगी " है मेरी कोई और नहीं है
No comments:
Post a Comment