10.2.09

vikas ka expressway model

हुण साडी गड्डी भी एकसपरेस वे पर चलूगी
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अब साडी गडडी वन लेन,टू लेन सड़क पर नहीं,सिकस लेन एकसपरेस वे पर चलूगी। ये कोई छोटी-मोटी गल नहीं। साडे िडपटी सीएम ने एलािनया कहा है िक देश में पंजाब एकसपरेस वे परोजेकट में नंबर वन होउगा। अब पंजाब हिरत परदेश से एकसपरेस वे परदेश बनूगा। हिरयाणे वाले नूं असी बतावंगे िक िवकास की होंदा है। सुखबीर बादल तो अटल जी और मायावती से भी आगे िनकल गए। बात पंजाब के िडपटी सीएम सुखबीर बादल से शुरू करेंगे। हाल ही में िडपटी सीएम बने सुखबीर बादल काफी फारम में है। आते ही िवकास के नए मॉडल पर काम शुरू कर िदया है। हालांिक काम तो पहले ही उनहोंने शुरू िकया था लेिकन अब संवैधािनक पोसट पर बैठकर उन योजनाओं की घोषणा भी कर रहे है। सुखबीर बादल ने राजय के िवकास के िलए एक नया मॉडल लाया है। यह मॉडल कुछ वैसा ही है जैसे देश के कुछ अनय मुखयमंतिरयों का रहा है। इसे अगर नया नाम देना हो तो आप दे सकते है। मंदी के नए दौर में वे िवकास के एकसपरेस वे मॉडल लेकर सामने आए। इससे मंदी को दूर करने के दावे भी है। लोगों को रोजगार भी िमलेगा और िवकास भी होगा। सुखबीर बादल इसे इकनािमकस का िसदांत बताते हुए कहते है िक अगर मंदी आ जाए तो राजय में आधारभूत संरचना का िवकास शुरू करो। इससे मंदी दूर हो जाएगी।सुखबीर बादल के इस एकसपरेस वे मॉडल की शुरूआत फगवाड़ा-मोहाली एकसपरेस वे शुरू हुई है। चंडीगढ़ में मंगलवार को इसकी घोषणा करते हुए उनहोंने कहा िक इससे राजय में भारी रोजगार पैदा होगा। दस हजार लोगों को रोजगार इससे िमलेगा। इस एकसपरेस वे पर गोई गाय या भैंस नहीं आएगी। िजतना िकलोमीटर आप सफर करेंगे उतना ही पैसा लगेगा। लोगों को िलए रोड अंडर िबरज और रोड ओवर िबरज बनाया जाएगा। कुल पांच हजार करोड़ रुपये के इस परोजेकट पर टोल िकतना लगेगा उनहोंने सपषट नहीं िकया। पर इसके िलए जमीन एकवायर करने का काम शुरू हो गया है। पर इस परोजेकट को लेकर संशय उठना भी जरूरी है। आरिथक मंदी के इस दौर में िबलट आपरेट और टरांसफर के िसदांत पर बनने वाले इस एकसपरेस वे परोजेकट पर कौन सी कंपनी हाथ लगाएगी?मंदी के दौर में इसका फाइनांस कंपनी कहां से लाएगी।सुखबीर बादल ने यह बात सही कही िक मंदी के दौर मे अगर इनफरासटकचर का िवकास िकया जाए तो रोजगार पैदा होता है और मंदी खतम होती है। पर यह िवकास के समाजवादी माडल में संभव है। समाजवादी और सामयवादी मॉडल में सरकार सीधा अपना सहयोग देकर मंदी खतम करती है और िवकास का काम शुरू करती है। अमेिरका में भी काफी कुछ बराक ओबामा इसी तरह से कर रहे है। उनका आठ सौ बिलियन डॉलर का जो पैकेज काफी कुछ समाजवादी िसदांत पर आधािरत है िजसमें िवकास के तहत राजय की भूिमका होती है। अब बहस का िवषय यह है िक िवकास के िजस मॉडल की बात सुखबीर बादल कर रहे है वही माडल यूपी में मायावती लेकर आयी थी। वे गंगा एकसपरेस वे लेकर आयी है। हालांिक यह एकसपरेस वे कबतक बनकर तैयार होगा यह समय ही बताएगा। इतना तो तय है िक पंजाब सरकार की माली हालत इतनी खराब है िक खुद मंदी दूर करने के लिए खजाने में फूटी कौड़ी नहीं है। एेेसे में पिबलक-पराइवेट पारटनरशीप पर कितनी मंदी दूर होगी समय ही बताएगा? अब सवाल यह उठता है िक िजस राजय में सवासथय सेवा,एजूकेशन की हालत खराब हो वहां पर एकसपरेस वे माडल से राजय का कया िवकास होगा। कुछ महीनें पहले पिटयाला मेिडकल कालेज में कुछ बचचों की मौत हो गई। मेिडकल कालेज की सिथति देखने वाली है। इनफरासटकचर के मामले में पंजाब के मेिडकल कालेज बदहाल है। गांवों के सकूलों की कया हालत है यह सारे लोग जानते है। बेशक माडल सकूल की योजना बनी है पर पर यह कब िसरे चढ़ेगी यह भी पता नहीं है। सबसे िदलचसप बात यह है िक पंजाब से धनी राजय हिरयाणा जहां पर राजसव की आमदनी पंजाब से कई गुना जयादा है, उसने एेसी कोई योजना नहीं बनायी?दरअसल िवकास के िजस माडल की बात हो रही है उससे आम आदमी को कोई लेना देना नहीं है। इस सड़क पर चलेंगे भी वही िजनकी जेब मोटी होगी। िफर पंजाब कृिष आधािरत राजय है। एकसपरेस वे के िलए जो हजारो एकड़ जमीन एकवायर की जाएगी इससे यहां की कृिष आधािरत इकनामी को भी नुकसान पहुंचेगा।कास की बात करते है तो कई थयोरी सामने आती है। िवकास का समाजवादी मॉडल,पूंजीवादी मॉडल और सामयवादी मॉडल। इन मॉडलों पर ही दुिनया के कई देशों का िवकास हुआ। शुरुआती दौर में भारत जैसे देश ने जहां समाजवादी माडल से िवकास िकया वहीं अमेिरका पूंजीवादी मॉडल पर चला। वहीं सोिवयत संघ ने सामयवादी मॉडल पर िवकास िकया। पर १९९० के बाद एक एेसी िसथित आयी िक समाजवादी माडल और सामयवादी मॉडल फेल हुआ और दुिनया के कई देशों ने पूंजीवादी मॉडल को अपनाया। पर २००८ में दुिनया का सफल िवकास का पूंजीवादी मॉडल भी ढहता नजर आया और अमेिरका जैसे देश की हालत खराब हो गई। कई बैंक कंगाल हुए और मंदी का एक नया दौर शुरु हुआ। इसका असर भारत और चीन जैसे देशों पर भी पड़ा।पर भारत जैसे देश का बचाव इसलिए हो गया िक यहां अभी भी समाजवादी ढांचा का कुछ अंश बचा था। अगर मनमोहन िसंह की मनमोहनी नीति पर चलते तो शायद हमारा भी हाल अमेिरका जैसा होता। पर धनयवाद लेफट का जो समय-समय पर चीखते रहे। बैंकों का पूरी तरह से िनजीकरण नहीं हुआ। एलआईसी जैसे संगठन बचे रहे। अगर ये नहीं होते तो शेयर मारकेट धराशायी हो जाता। एफआईआई पूरी तरह से पैसे िनकाल ले जाते और हम होते ठन-ठन गोपाल। अब िजस पिबलक पराइवेट पारटनरशीप की बात सुखबीर बादल कर रहे है वो मंदी के दौर में िफलहाल संभव नहीं है। कंपिनयों की हालत खराब है। उनहें करज नहीं िमल रहे है। करज वहीं िमल रहे है जहां से करज लौटने की संभावना हो। पंजाब में दो पावर पलांट लगाए जाने की शुरूआत करने का दावा सरकार खूब कर रही है। पर इसकी सचचाई से भी सरकार वािकफ है। तलवंडी साबो थरमल पलांट बनाने के िलए िजममेवार कंपनी सटरलाइट ने पंजाब सरकार को कहा है िक शुरूआत में वो पूरी कैपैिसटी के बजाए वन फोथॆ कैपेिसटी का पलांट ही लगाएंगे। जबिक राजपुरा थरमल पलांट का मामला बीच में ही लटका है।िदलचसप बात यह है िक िवकास के िलए जो धन सेंटर दे रहा है उसे ही राजय सरकार सही तरीके से इसतेमाल नहीं कर पा रही है। जवाहरा लाल अरबन रिनयुल िमशन के तहत जो धनरािश िमल रही है इसका मैिंचंग गरांट तक देने में समसया राजय सरकार को आ रही है। जबिक धनरािश को लेने के िलए जो िरफारम राजय सरकार ने करने है वो भी आज तक नहीं िकया गया। एक तरफ तो िवकास के िलए पबिलक पराइवेट पारटनरशीप की बात हो रही है पर जुरूरी संपति कर अभी तक राजय सरकार ने नहीं लगाया है। इसके लिए राजय सरकार कई बार फटकार नई िदलली से खा चुकी है।पंजाब के कृिष आधारित इकनामी को आने वाले िदनों में कई चुनौितयां िमलने वाली है। यहां पर खेतों में काम करने मजदूर घट चुके है। िबहार में बड़े पैमाने पर िवकास का काम होने के कारण िबहारी मजदूर वापस अपने राजय में लौटने लगे है। लुधियाना के फैकटरी में मजदूरों की कमी हो गई है। वहीं खेतों में काम करने वाले मजदूर कम हो गया है। बीते खरीफ के सीजन में धान रोपाई के िलए मजदूरों की भारी कमी हो गई है और १५०० रुपये परित एकड़ बुआई पहुंच गई। ये पहले से सौ परतिशत जयादा थी। एेेसे में िवकास का एेसा मॉडल अपनाया जाना चािहए जो राजय के िहत में हो। िफर सुखबीर बादल के सहयोगी भाजपा ने अपने नरेंदर मोदी के िवकास मॉडल को खारिज कर दिया है और िवकास के गांधीवादी मॉडल में िवशवास वयकत िकया है। अब गांधीवादी मॉडल तो गराम सवराजय में विशवास रखता है। इसके िलए सताधारी दल को अपनी मानसिक सोच बदलनी होगी।

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