9.2.09

कोई तो सुने सीमा की सिसकियाँ....

फिजा उर्फ़ अनुराधा बाली इन दिनों बेहद नाराज़ हैं । उन्हें उनके चाँद ने धोखा जो दे दिया है। मगर जाने क्यूँ मुझे ऐसा नहीं लग रहा कि हरयाणा की इस पूर्व उप महाधिवक्ता को धोखे की दुहाई देने का कोई हक है।अपने प्रदेश के डेपुटी सी ऍम से निकाह करते वक़्त उन्हें बखूबी पता था कि वे चंद्र मोहन की १८ साल पुरानी पत्नी सीमाजी के साथ अन्याय कर रही हैं। वैसे भी फिजा{अब} कानून की जानकार हैं। वे बालिग़ भी हैं और उनकी दिमागी हालत ख़राब होने का कोई प्रमाण भी अभी तक तो सार्वजनिक नहीं किया गया है,फ़िर वे कैसे प्रमाणित करेंगी कि उनके साथ धोखा हुआ है। सॉरी..., पहले तो मैं ये बता दूँ कि इस मुद्दे पर अपनी भड़ास निकालने कि जरूरत मुझे क्यूँ महसूस हुई। दरअसल, मैंने संजीव जी को पढ़ा और उनसे किंचित रूप से सहमत होने कि ललक मन में जाग उठी। फिजा किस बात कि शिकायत कर रहीं हैं। इस्लाम के जानकार,मौलवी आदि सभी कथित चाँद के साथ उनके निकाह को अवैध ठहरा चुके हैं.उनका कहना है कि सिर्फ़ शादी करने के लिए किसी को इस्लाम कबूल करने की इजाजत नहीं दी जा सकती .चंद्र मोहन का खतना भी नहीं हुआ.यह भी एक टेक्नीकल कारण बनेगा .क्यूंकि मेरे मुस्लिम मित्रों के अनुसार किसी पुरूष के मुसलमान होने की यह भी एक जरूरी शर्त है.फ़िर भी यदि इस निकाह को जायज मान लिया जाए,तब तो फिजा और भी मुश्किल में फंस जायेंगी .चाँद को इन्हें आसानी से तलाक़ देने का हक तो रहेगा ही,दो -तीन निकाह और करने का अधिकार भी रहेगा.खैर यह तो हुई कानूनी बात.भावनाओं से जुड़ा मुद्दा यह है कि आज भी किसी भी स्तर पर सीमा विश्नोई के अधिकारों पर बहस नहीं हो रही है । इस तरह के निकाह जाने कितनी सीमाओं का घर बर्बाद कर देते है । हालाँकि मुग़ल काल (अकबर -जोधा) से ही हमारे देश में इस तरह के विवाह प्रचलन में हैं । धर्मेन्द्र राज बब्बर जैसों ने कानून की इसी पेचीदगी का लाभ उठाया । ये तो ख्यात नाम लोग हैं उनके नक्शे कदम पर जाने कितने लोग चलते होंगे और जाने कितनी सीमायें घुट घुट कर जीने पर विवश होती होंगी । फिजां के समर्थन में कई महिला संगठन भी सुर में सुर मिला रहे है । वे कब फ़िक्र करेंगे चंद्रमोहन के घर के किसी कोने में सुबक रही सीमा की ... ?

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