मायने इस बात के नही कि उसने मांगा क्या और उसे क्या मिला सोचने वाली तो बात ये है कि जो दूसरों के लिए कोई बात ही नही थी वही बात आपके लिए बहुत कुछ थी क्योंकि अगर आपके लिए ये बात मायने नही रखती तो आपकी लेखनी लिखती ही नही ...उसने नही मांगा ये तो उसके लिए था लेकिन आपके लिए बात थी कि जो मिला उसी को उसने सब कुछ मान लिया ....शायद वही सबसे खुशनसीब है जिसने कुछ चाहा ही नही क्योंकि जब चाहा नही तो पाने की आस ही नही और जब आस नही तो प्यास कहां .....लेकिन हकीकत ये भी है कि लोगों के देखने में समंदर भी पानी से भरा होता है कि लेकिन कभी कभी वो प्यासा भी होता है क्योंकि देखने में और होने में. कभी कभी बहुत फर्क होता है .....तारीफ के काबिल है आप .....इसलिए की लोगों के लिए आम बात थी वही आपके लिए बहुत कुछ थी ...
bahut interesting..... feelings
ReplyDeleteमायने इस बात के नही कि उसने मांगा क्या और उसे क्या मिला सोचने वाली तो बात ये है कि जो दूसरों के लिए कोई बात ही नही थी वही बात आपके लिए बहुत कुछ थी क्योंकि अगर आपके लिए ये बात मायने नही रखती तो आपकी लेखनी लिखती ही नही ...उसने नही मांगा ये तो उसके लिए था लेकिन आपके लिए बात थी कि जो मिला उसी को उसने सब कुछ मान लिया ....शायद वही सबसे खुशनसीब है जिसने कुछ चाहा ही नही क्योंकि जब चाहा नही तो पाने की आस ही नही और जब आस नही तो प्यास कहां .....लेकिन हकीकत ये भी है कि लोगों के देखने में समंदर भी पानी से भरा होता है कि लेकिन कभी कभी वो प्यासा भी होता है क्योंकि देखने में और होने में.
ReplyDeleteकभी कभी बहुत फर्क होता है .....तारीफ के काबिल है आप .....इसलिए की लोगों के लिए आम बात थी वही आपके लिए बहुत कुछ थी ...