टी वी चैनल का ढेर हो गया है। जितने ज्यादा चैनल हो गए हैं उतना ही कम देखने को दिल करता है। रिमोट पर उंगलिया रूकती नहीं कभी कोई चैनल कभी कोई चैनल। लास्ट मैं म्यूजिक चैनल पर रुक जाता हूँ। साधना आस्था, पीस टी वी, संस्कार टी वी एम् एच धार्मिक चैनल ही फिर अच्छे लगते हैं। ख़बरों से देख कर लगता है की आने वाले चुनाव के कारन सभी चैनल का अलग अलग पार्टी से टाई उप हो गया है। इस लिए कोई भी ख़बर विश्वशनीय नहीं लगती। बस थोडी देर ही खबरें देखतें हैं और फिर परवचन सुनना ही अच्छा लगता है। इधर चैनल भी इतने हो गये हैं की किस को देखे और किस को नहीं यह भी समझ नहीं आता। खैर चैनल फिर भी चल रहे है। पर यह नहीं पता की अभी कितने चैनल और लॉन्च होने बक्की हैं और इनमे से कौन सा काम का होगा। हम प्रेषण हैं की १०० चैनल होने के बाद भी कोई चैनल अच्छा नही लग रहा है। इस से अच्छा तो दूरदर्शन ही है। जिस पर वोही पुराने प्रोग्राम आते रहे हैं। अल्लाह खैर करे
प्रेम अरोडा
काशीपुर
are bhai sahab chainal aane se aapko koi dikkat hai kya itne channel hone ke bad bhi jaurnlism karne valo kao naukari nahi mil rahi hai
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