21.3.09

डोर छोटे दिल वालों के हाथ में क्यों?

(प्रसारण के फोटो जर्नलिस्ट मुकेश जोशी ने एक कविता लिखी। उसे हुबहूं पोस्ट कर रहा हूं। यह उनकी पहली कविता है। गौर फरमाईएगा और कैसी लगी, बताइएगा।)
आसमान में उड़ती पतंग,

जब उठास पर होती है,

सबकी निगाहें, उस पर खास होती है ,

आसमान छूती है पतंग,

तो छोटी दिखने लगती है,

दोष नजरिए का,

इल्जाम पतंग पर

दुनिया ऐसे ही क्यों जलती है?

पतंग तो बादलों से भी ऊंचा उडऩा जानती है,

या खुदा,

डोर छोटे दिल वालों के हाथ में ही क्यों होती है?

मुकेश जोशी, रतलाम

1 comment:

  1. दिल दुखें ना अब, हर बात में क्यों ,
    "डोर छोटे दिल वालों के हाथ में क्यों?"
    ग़म इसी बात का है.

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