19.3.09

हमारी नई पीढी की साख पर बट्टा लग गया है .....

यह शर्म की बात है की आज भी इतने प्रयासों के बाद रैंगिंग जारी है। कुछ दिन पहले ही हिमाचल प्रदेश के डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद मेडिकल कॉलिज में हुई रैगिंग के कारण गुड़गांव के छात्र अमन काचरू की मौत हो गई . आंध्र प्रदेश के एक एग्रीकल्चर कॉलिज की छात्रा त्रिवेणी ने भी रैगिंग से परेशान होकर जहर पी लिया। इसके बाद से ही रैगिंग पर अंकुश लगाने के तमाम उपायों पर बहस हो रही है । देश में रैगिंग पर लगाम कसने के लिए राघवन कमिटी का भी गठन किया गया है. पर इतना तो तय है की केवल कमिटी बना देने भर से रैंगिंग ख़त्म नही हो सकती है. अब कुछ विशेष उपाय करना होगा । यु जी सी ने भी कहा है की जो संस्थान रैंगिंग को रोकने में असफल रहते है , उनके फंड में कटौती की जा सकती है । सुपिम कोर्ट ने इन राज्यों को नोटिस भी भेजा है । देखते है की अब कुछ कदम आगे उठाया नही जाता है या नही । हैरानी की बात है की देश के प्रमुख बड़े बड़े संस्थानों में खूब रैंगिंग होती है । मेडिकल कालेज तो इस मामले में कुख्यात है । इस बार तो हद ही हो गई रैंगिंग ने एक छात्र की जान ले ली । वहशीपन की सारे हदे पार हो गई । ऐसे डॉक्टर किसी का क्या भला करेगे । वैसे भी आज ज्यादातर डॉक्टरों की साख बची कहा है ....ऐसी घटनाओं से तो सिक्षा व्यवस्था पर कालिख पुत गई है । अब जिम्मेदारी हमारी सरकार पर और शिक्षा संस्थानों पर है की वे अपने मुंह पर पुते हुए कालिख को कैसे साफ़ करते है । साथ ही हमारी नई पीढी की साख पर भी बट्टा लग गया है । कुछ सोचो यार ऐसा क्यों हो रहा है ?... परवरिश में कहाँ कमी रह गई है ?

1 comment:

  1. रेंगिंग का भूत पीछा ही नहीं छोड़ रहा..यहाँ तक की कोर्ट भी बेबस है...!जनजागरण से ही शायद सुलझ सके...!बच्चों को भी जागरूक बनना होगा...

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