विनय बिहारी सिंह
सूर्य को जल चढ़ाने से क्या कोई फायदा होता है? यह सवाल अक्सर पूछा जाता है। लेकिन हमारे ऋषि- मुनियों ने कहा है कि सूर्य को जल अर्पण करने से हमारे जीवन में सुख और शांति की वृद्धि होती है। कैसे? आइए जानें। पहले कुछ वैग्यानिक तथ्य। सूर्य पृथ्वी से १,४९,६००,००० किलोमीटर दूर है। इसका प्रकाश पृथ्वी तक पहुंचने में ८ मिनट १९ सेकेंड का समय लेता है। सभी जानते हैं कि सूर्य पृथ्वी के जीवों के लिए महत्वपूर्ण ऊर्जा का स्रोत है। सूर्य के कारण जीवों को तो ऊर्जा मिलती ही है, पेड़- पौधों को भोजन भी सूर्य के कारण ही मिल पाता है। अगर सूर्य की किरणें न हों तो फोटोसिंथेसिस न हो और फोटोसिंथेसिस न हो तो पेड़- पौधे भोजन कैसे बनाएंगे? आखिर उनकी पत्तियों में मौजूद क्लोरोफिल बिना सूर्य के प्रकाश के कर ही क्या पाएगा? ऋषियों ने कहा है कि सूर्य को जल देने से उसकी अदृश्य प्रेम किरणें हमारे हृदय में प्रवेश करती हैं और हमारे शरीर के सारे हानिकारक तत्व नष्ट होते जाते हैं। हम रोज न जाने कितनी नकारात्मक परिस्थितियों से गुजरते हैं। सूर्य को जल चढ़ाते ही हमारे शरीर पर पड़े बुरे प्रभाव तुरंत नष्ट हो जाते हैं और हमें एक नई ऊर्जा मिलती है। पूरे सौरमंडल का ९९.८ प्रतिशत भार सूर्य का है। हालांकि सूर्य के भीतर की मुख्य गैस हाइड्रोजन (७० प्रतिशत) और हीलियम (२८ प्रतिशत) है। लेकिन इसमें आइरन, निकल, आक्सीजन, सल्फर, मैग्नीशियम, सिलिकान, कार्बन, नियान, कैल्शियम और क्रोमियम वगैरह भी है। सूर्य को जल चढ़ाना इसलिए भी लाभकारी है क्योंकि महात्माओं ने कहा है कि जिस जल से हम सूर्य को अर्घ्य चढ़ाते हैं, उससे छन कर सूर्य का प्रेम तत्व हमारे शरीर में आता रहता है। इस प्रेम तत्व को आप महसूस ही कर सकते हैं। क्योंकि- प्रेम न खेतो नीपजे, प्रेम न हाट बिकाय।।
vande matram ji bahut hi achaa laga aapka artical padkar
ReplyDeletejahan ek or yuva varg in sab baton ko bakvaas samajhta hai to in siddhanton se siddh hota hai ki hamari dharmik paramparayen bhi scientific reson rakhti hain
vande matram
जय हिन्द ????
ReplyDelete!!!!!!!
??????
जय हिन्द
Mujhe hansi aati hai aap logon ki masumyat pe...abhi bhi aap log in baton pe wishwas karte hain...mere bhaiyon suraj ko allmighty ALLAH(EESHWAR) ne hamari sewa ke liye banaya hai aur wohi kaam wo karta hai, matlab ye k wo to apni duty sahi kar raha hai lekin ham ALLAH ko chhodkar us suraj ke pujari ban bethe hain jo khud apne bas main nahin hai! bhaiyon ab to ankhen kholo aur asli khuda ko pehchano jo ham sab ka aur is pure brahmand ka creator hai..usi ne suraj,chand,pani hawayen aur sabkuchh banaya hai!
ReplyDeleteजमशेद भाई
ReplyDeleteगीता में भगवान कृष्ण ने कहा है- ग्रहों में सूर्य मैं ही हूं। सूर्य भगवान का ही एक रूप है। भगवान ही विभिन्न रूपों में हैं। हम विभिन्न रूपों में उन्हें पूजते हैं। सूर्य को जल देने से क्या फायदे हैं, इसे संत बहुत पहले ही विस्तार से बता गए हैं। दुनिया के तथ्य बदलते हैं। ईश्वर के नहीं। सूर्य को अर्घ्य देते समय जो मंत्र पढ़ते हैं, उसकी कितनी ताकत है, उसे अर्घ्य देने वाला ही समझता है। इसे लिख कर तो कतई नहीं समझाया जा सकता। ये अनुभव, संकल्प और मंत्र ध्वनियों की बातें हैं। ध्वनियों, तरंगों से शरीर, मन और ब्रह्मांड पर पड़ने वाले प्रभाव की बातें हैं। किसी भी चीज को एक झटके में बकवास कह देना आसान है। इस बात को भी आप खारिज दें, तो कोई कर ही क्या सकता है।
Vinay Bhai bahut Shukriya jawab ke liye!Geeta mein jo bhi Sri krishna ne kaha ho lekin vedas mein kaha gaya hai ke-
ReplyDelete1-EKAM BRAHMA ASTI,DITIYE NA ASTI- EESHWAR EK HAI, DUSRA NAHIN HAI,NAHIN HAI, ZARA BHI NAHIN HAI!
AUR
2- NATASYA PRATIMA ASTI- EESHWAR KEE KOI PRATIMA NAHIN HAI!
Aur ye bhi Veds hi kehte hain ke jo manushya natural cheezon ko pujte hain andhkar ki taraf jate hain aur jo manushya apni banayee cheezon ko pujte hain aur bhi andhkar ki taraf jate hain!
Ab aap hee batayen k kiski baat sahi hai? Faisla aap ke ooper kyun sabhi bhagwan ne budhi dee hai sochne ke liye!
App ka bhai...
jamshed
very well explained. even i do believe in surya puja.. and i try to practice it regularly. please provide some more useful tips and benefits of the same.
ReplyDeleteswatee
very well explained. even i do believe in surya puja.. and i try to practice it regularly. please provide some more useful tips and benefits of the same.
ReplyDeleteswatee
@Jamshed
ReplyDeletei agree with u that quran give the same message as the vedas. the root of hinduism does hold the same values, worshipping sky, sun, air, earth and other natural creations as god is encouraged for initial stages of realisation but not "forbidden" or "neglected" as worshipping the God's creations is not harmful and it helps spread the love and respect towards the environment... which is apparently lacking these days.