13.4.09

आम आदमी गुम हो गया

देश में चुनाव की गहमा गहमी में आम आदमी गुम हो गया है। गाँव से लेकर देश की राजधानी तक इस बेचारे की कोई चर्चा ख़बर नही है। कोई पत्रिका,अखबार,न्यूज़ चैनल देख लो किसी में आम आदमी आपको नहीं मिलेगा। जब वह कहीं नहीं है तो इसका मतलब वह खो गया है। "गुम हो गया", "खो गया", ग़लत है, असल में तो उसको गुम कर दिया गया है। जब राजनीति कारोबार बन जाए,मुद्दे बेअदब चलती जुबान के नीचे दब कर दम तोड़ने लगे,जन हित की बजाये हर हाल में सत्ता को पाना ही लक्ष्य हो तो फ़िर आम आदमी की याद किसको और क्यों आने लगी। बड़े बड़े नेता हर रोज़ पता नहीं कहाँ कहाँ जाते हैं। उनके पीछे पीछे होता है मीडिया। लेकिन इनमे से कोई अगर बाजार जाए [ मॉल नहीं] तो इनको महंगाई से लड़ता फटे हाल में आम आदमी मिल जाता। किंतु किसको समय है आम आदमी के लिए! चीनी ३० रूपये के आस पास आने को है। गुड़ चीनी से आगे निकल गया है। दाल क्यों पीछे रहने लगी, उसने भी अपने आप को ऊपर और ऊपर ले जाना आरम्भ कर दिया। आम आदमी महंगाई से लड़ कर दम तोड़ रहा है, नेता आपस में लड़ रहें हैं। यह हैरानी की बात नहीं कि देश में जिस आम आदमी की संख्या सब से ज्यादा है वही चुनाव से गायब है। उसकी चिंता किसी को नहीं। कोई नेता एक बार बाजार जाकर रोजमर्रा की जरूरत वाले सामान के भाव तो पूछे! पूछ भी लेगा तो उसकी सेहत पर क्या असर पड़ेगा? उसकी जेब से कुछ जाना नहीं है। उसके पास तो आना ही है। उस से तो कोई ये भी नहीं पूछता कि भाई तुम ऐसा क्या काम करते हो जिस से तुम्हारी सम्पति हर पाँच साल में दोगुनी,तीन गुनी हो जाती है। क्या कोई ऐसा दल भी है जो आम आदमी को महंगाई के दल दल से निकल कर उसको थोडी बहुत राहत प्रदान कर सके। उम्मीद तो नहीं है, जिस देश में सरकार आई ऐ एस, आई पी एस के बच्चों को मुफ्त शिक्षा देने का ऐलान करती हो वहां आम आदमी की क्या हैसियत है यह अनुमान लगाना कोई मुश्किल काम नहीं है। हैसियत है ही नहीं। कोई हैसियत होती तो उसको खोजने के लिए अब तक तो पता नही क्या क्या हो चुका होता। आम आदमी गुम ही रहे तो ठीक है उनकी बला से।

1 comment:

  1. kaale dhan ka netaaon ko daan ke kaaran hi mehgaai aam aadmi ko rulaa rahee hai .abhee tak beh rahe aasuon se raajnitigyon ke dil nahin bheeg rahe hain.isiliye aam aadmi ko itnaa ronaa hogaa jisse aasuon kaa selaab aajaaye aur us sailaab main kamse kam bharastrachaar to beh hi jaaye .jhallevichar.blogspot.com

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