उर्दू के जाने माने साहित्यकार और विद्वान डा. कमर रईस का कल रात दिल्ली के बत्रा हास्पिटल में निधन हो गया। 77 वर्षीय रईस पिछले कई दिनों से पीलिया का इलाज करा रहे थे। उनके परिवार में पत्नी और एक पुत्री है। कमर रईस भारत सरकार के संस्कृति विभाग में काम करते हुए कई वर्षों तक ताशकंद में रहे। वहीं उन्होंने मुगल बादशाह जहीरूदीन बाबर के जीवन पर अपनी मशहूर किताब लिखी जिसमें बाबर के जीवन के अछूते पक्षों पर खोजपरक दृष्टि से अनेक महत्वपूर्ण जानकारियां दी गई हैं। कमर रईस ने अपने ताशकंद प्रवास के दौर में ही एक और अत्यंत महत्वपूर्ण किताब का संपादन किया ‘अक्टूबर रिवोल्यूशन – इंपेक्ट आन इंडियन लिटरेचर’। इस किताब की भूमिका पूर्व प्रधानमंतगी इाई.के. गुजराल ने लिखी थी। कमर रईस ने सज्जाद जहीर और रतननाथ सरशार की जीवनियां लिखीं। उर्दू साहित्य में मुंशी प्रेमचंद का महत्व स्थापित करने में उनकी बडी भूमिका रही। प्रेमचंद पर उर्दू में उनकी प्रसिद्ध किताब है ‘प्रेमचंद का फन’। वे करीब पच्चीस बरस तक प्रगतिशील लेखक संघ के उर्दू संगठन अंजुमन तरक्कीपसंद मुसन्नफीन के सेक्रेट्री रहे। फिलवक्त वे दिल्ली उर्दू एकेडमी के वाइस चेयरमैन थे।
मेरी उनसे एक ही मुख्तसर सी मुलाकात रही, जब उन्होंने अंजुमन तरक्कीपसंद मुसन्नफीन की जानिब से इलाहाबाद में सज्जाद जहीर की जन्मशती का भव्य समारोह करवाया था। उस समारोह में पाकिस्तान से जाहिदा हिना सहित करीब पच्चीस लेखक आए थे।
उर्दू साहित्य में प्रगतिशीलता के अलंबरदारों में एक महत्वपूर्ण नाम इस दुनिया से उठ गया , इसकी भरपाई अभी बहुत मुश्किल दिखाई देती है
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