29.4.09

रोशनी ......

एक मोमबती ले निकली हूँ । घुप अँधेरी रात है ।
मेरे लिए नही यह कोई नई बात है । सारे जग में कर दूंगी उजाला ।
हिम्मत है तो रोक कर दिखाओं ।

.................. रोशनी

1 comment:

  1. सफर को आगे बढाइए, आगाज अच्छा है, अंजाम बेहतर ही होगा, बेफिक्र रहिए!

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