29.4.09

Loksangharsha: 'जो झूठा मक्कार , फरेबी नेता वही महान यहाँ '


आज से लगभग 50 वर्ष पहले मेरे विद्यालय के अध्यापक की एक कविता छापी थी जिसकी यह पंक्ति थी 'जो झूठा मक्कार , फरेबी नेता वही महान यहाँ 'तब मैं 10 वी कक्षा का विद्यार्थी था। मैं इस पंक्ति का अर्थ समाज और राजनीति के सन्दर्भ में समझ नही पा रहा था । परन्तु आज तो यह पंक्ति पूरी तरह से लागू होती है आज ऐसे लोग और राजनैतिक पार्टियाँ सत्ता के लिए बढ़- चढ़ कर दावे कर रही है, और वह यह भूल जाती है की उन्होंने देश की सर्वोच्च संस्था 'लोकसभा' में क्या अपने देश की विदेश नीति के सिलसिले में किस-किस किस्म के भ्रम फैलाने वाले बयान दिए है। बहरहाल पिछली सरकार के समय में एक न्युनतम साझा कार्यक्रम तैयार हुआ और उसके वादे जिस तरह से सरकार ने क्रियान्वित किए,क्या यह देश के साथ धोखा नही है ?
आज मंदी का नाम लेकर इस देश के लगभग 12 लाख लोग अपनी नौकरिया गवां चुके है । बड़ी संख्या में लोगो के वेतन में कटौती की जा रही है और हमारे गृहमंत्री उद्योगपतियों से सिफारिश कर रहे है की वेतन भले घटा दे परन्तु नौकरियों से निकाले मंदी के नाम पर अब काम के घंटे 12 हो गए है और वेतन भी काट लिया गया है। प्राइवेट कंपनियों के अफसर और मजदूर सन 1886 के काम के घंटे के बराबर काम कर रहे है लगभग सवा सौ साल बाद परन्तु इस सरकार को मजदूरों की दशा पर सोचने के लिए कोई मौका नही है।
फर्जी और झूठे आंकडे पेश किए जाते है की मुद्रा स्फ़ीति शून्य हो गई है। यह झूठ तब उजागर होता है , जब आम आदमी बाजार जाता है और वहां पर किसी भी चीज की कीमत घटी हुई नही पता है। परन्तु मीडिया से, अखबारों से इस झूठ का इतना प्रचार किया जा रहा है कि यह सच लगने लगे । यह गोवेल्स जो हिटलर का प्रचार मंत्री था की तकनीक है, की झूठ का निरंतर प्रचार किया जाए।
पूंजीपतियों की सेवा में बैकों की ब्याज दर घटाई जा रही है और L.I.C के शेयर बेचने के लिए लोकसभा में प्रस्ताव पेश है यह बिक्री एक अमेरिकन दिवालिया कंपनी के नाम पर है । सत्यम जैसी कंपनिया आम जनता को हजारो करोड़ रुपयों का चूना लगा चुकी है। अरबो रुपयों का स्टांप घोटाला तेलगी जैसे लोगो ने किया । बड़ी संख्या में हमारे राजनैतिक पार्टियों के बड़े-बड़े नेता,हवाला कांड और स्टिंग ऑपरेशन व घूसखोरी में पकड़े गए। सवाल पूछने के लिए हमारे माननीयों ने पैसा लिया, परन्तु यह सवाल सब पीछे है

-डॉक्टर राम गोपाल वर्मा
क्रमश :
लोकसंघर्ष पत्रिका के चुनाव विशेषांक में प्रकाशित

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