18.5.09

जनविरोधी नीतियों के चलते जनता ने भाजपा को नकारा

राजेन्द्र जोशी
देहरादून । भाजपा की प्रदेश सरकार की जनविरोधी नीतियों के चलते लोकसभा में जनता ने ही भाजपा को साफतौर पर नकार दिया है। खण्डूड़ी सरकार को आखिरकार जनता ने शून्य नंबर देकर प्रदेश सरकार की पूर्ण विफलता पर मोहर लगा दी है। वहीं पिछले बीस साल से प्रदेश में काबिज होने के लिए छटपटा रही कांग्रेस को प्रदेश की जनता से अपार समर्थन देकर कांग्रेस को कार्य करने का मौका दिया है।
भाजपा की खण्डूड़ी सरकार को ढाई साल से अधिक का समय हो गया है। सरकार ने जनहित में कोई कार्य नहीं किये हैं कम से कम चुनाव परिणाम तो यही दर्शा रहे हैं। पहले जमीनों में खदीद फरोख्त पर प्रतिबंध लगाना और बाद में जमीनों में स्टाम्प शुल्क बढ़ाने के साथ सरकार की जनविरोधी नीतियों की शुरूआत हो गई थी। जब मुख्यमंत्री ने देखा कि सरकार के इस फैसले की चैतरफा निन्दा हो रही है तो सरकार ने स्टाम्प शुल्क घटाने की घोषण की। सरकार के बैकफुट पर आते ही मुख्यमंत्री के विरोधियों ने स्वर ऊंचे करने शुरू कर दिये थे।
सरकार की जनविरोधी नीतियों के चलते मुख्यमंत्री को अपने ही विरोधियों ने घेरना शुरू कर दिया था। इसी के चलते राज्य में नेतृत्व परिवर्तन को लेकर कई बार बगावती स्वर भी दिखाई दिये। प्रदेश सरकार ने इन ढाई साल में कोई भी नया उद्योग स्थापित नहीं किया जिसके चलते बेरोजगार युवकों की संख्या बढ़ती रही जबकि कांग्रेस सरकार ने राज्य में उद्योग स्थापित ही नहीं किये बल्कि कई नामी कम्पनियों ने लालफीताशाही की नीतियों के चलते राज्य से समान समेटना शुरू कर दिया। राज्य में उद्योग लगाने के लिए राज्य सरकार को प्रस्ताव भी भेजे लेकिन इन प्रस्तावों पर कोई भी गौर नहीं किया गया। सरकार ने उद्योगों में कटौती कर यहां चल रहे उद्योगों को बंदी की कगार पर लाकर खड़ा कर दिया। भ्रष्टाचार रोकने का भाजपा सरकार डंका पीटती रही। लेकिन राज्य में अफसरशाही बेलगाम हो गयी। भ्रष्टाचार तो कम नहीं हुआ अलबत्ता निर्माण कार्यों में घटिया सामग्री का प्रयोग होता रहा। नौकरियों में पारदर्शिता लाने के लिए राज्य सरकार ने पूरी दुनिया में डंका पीटा और साक्षात्कार को नौकरियों से हटा दिया गया। लेकिन इसका लाभ लोगों को नहीं मिल पाया। भ्रष्टाचार की जड़ें राज्य में इतनी मजबूत हो गई कि कांग्रेस को कई बार सदन में सरकार को घेरने में सफलता मिली।
लालबत्तियों को चुनावी मुद्दा बनाकर सत्ता तक पहुंची भाजपा सरकार ने भी कोई कोर कसर नहीं छोड़ी दायित्वधारियों के पद बांटे और उन्हें लालबत्ती न बांटकर उन पर खर्चा बढ़ा दिया और उन्होने ही एक साल के भीतर सरकार का इतना पैसा डकार दिया जितना डेढ़ सौ कांग्रेसी लालबत्तीधारी पांच साल में भी नहीं हजम कर पाये। इसको लेकर भी असंतोष बढ़ता रहा। राज्य में महंगाई बेकाबू होती रही। बेरोजगारी के साथ महंगाई ने लोगों का जीना दूभर कर दिया। कई ऐसे मुद्दे थे जिस पर सरकार फैसला लेकर महंगाई से राहत दे सकती थी। सरकार ने 108 आपातकालीन सेवा जरूर शुरू की और इसी को चुनावी मुद्दा बनाकर भाजपा सरकार लोकसभा की पांचों सीटें जीतना चाह रही थी। जिस श्रीनगर मेडिकल कालेज की बात भाजपा सरकार खोलने का दावा कर रही है वह कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में ही शुरू हो गया था। मुख्यमंत्री ने सरकारी खर्च कम करने के लिए अधिकारियों और मंत्रियों पर दबाव बनाया और मुख्यमंत्री के काफिले में गाडियों की संख्या कम कर दी। इतना ही नहीं जिन स्थानों पर रेल और बस सेवा की सुविधा है वहां पर अधिकारियों को इस सुविधा के माध्यम से जाने के निर्देश भी दिये थे। इससे भी अफसरशाही में नाराजगी थी। जल विद्युत परियोजनाओं को निजी हाथों में बेचा जाना भी राज्य सरकार का फैसला जनविरोधी रहा। इसको लेकर कांग्रेस विधायकों ने मुख्यमंत्री के सचिव और उनके कई सहयोगियों पर भ्रष्टाचार का आरोप भी लगाया था। इसको लेकर कई दिन तक सदन में हंगामा होता रहा। इतना ही नहीं कांग्रेस विधायकों के साथ बसपा ने भी सुर मिलाये थे। मूल और जाति निवास प्रमाण पत्रों पर सरकार की दोहरी नीति भी आम लोगों को पसंद नहीं आई। इसको लेकर सरकारी और गैर सरकारी संस्थाओं में मिलने वाली नौकरियों और आरक्षण का लाभ लोगों को नहीं मिल पाया। मूल और जाति प्रमाण पत्रों को बनाने को लेकर सरकार कार्यालयों के चक्कर काटने पड़े। भाजपा सरकार के कार्यकाल में जितने भी निर्माण कार्य हुए उन पर भी उंगली उठती रही। ईमानदारी का चोला ओढने वाली भाजपा सरकार के कार्यकाल में जितनी भी सडकों का निर्माण हुआ उन्होंने समय से पहले ही दम तोड़ दिया। भाजपा सरकार ने अपने ढाई साल के कार्यकाल में ऐसा कोई भी विकास कार्य नहीं किया जिससे जनता प्रभावित होती। यही कारण है कि जनता ने लोकसभा चुनाव में भाजपा सरकार को सौ में से शून्य नंबर दे डाले। यह भाजपा सरकार के लिए खतरे का संकेत है। 2012 में होने वाले विधानसभा चुनाव में क्या भाजपा जनता का दिल जीत पायेगी यह एक अहम सवाल है।

3 comments:

  1. सही कहा आपने। यह था भाजपा की राज्य सरकार के कामकाज का आँखोदेखा हाल। अगर सरकार ने अभी सही कदम नहीं उठाए तो बजेगा उनका बैंड-बाजा अगले विधानसभा चुनाव में।

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