एक महीने तक चले आईपीएल यानी इंडियन पोलिटिकल लीग के दौरान लोकतंत्र के मैदान में काफी गर्मी देखने को मिली। सभी इस ऊहापोह में थे कि क्या ये गर्मी दिल्ली की संसद का मौसम पाँच साल के लिए फ़िर बिगाड़ेगी ? लेकिन इन सब कयासों को ग़लत साबित करते हुए जनता ने अपना स्पष्ट जनादेश दिया। सौ सुनार की एक लोहार की कहावत को चरितार्थ करते हुए जनता ने क्षेत्रीय पार्टियों के अवसरवादी नेताओं को हासिए पर धकेल दिया। इसलिए यह कहने में जरा भी हिचक नहीं की जय हो जनता के जनादेश की।
* यह जनादेश जनता ने उन पार्टियों के खिलाफ दिया है जो नीजि हित के लिए देश को आर्थिक नुकसान पहुंचा रहे थे।
* यह जनादेश गठबंधन सरकार को अस्थिर करने और अपना नीजि स्वार्थ साधने में लगे क्षेत्रीय क्षत्रपों के खिलाफ है।
* यह जनादेश नकारात्मक संदेश के ख़िलाफ़ सकारात्मक राजनीति के पक्ष में है।
* यह जनादेश तीसरे और चौथे मोर्चे जैसे अवसरवादी पार्टियों के खिलाफ है।
* यह जनादेश थोथे नारेबाजी के खिलाफ है।
* यह जनादेश केन्द्र में बढ़ रहे क्षेत्रीय स्वार्थी पार्टियों के हस्तक्षेप के खिलाफ है।
* यह जनादेश बाहुबलियों के खिलाफ है।
भावुक भारतीय जनता ने अट्ठारह साल बाद अपने जनादेश में दिल के साथ दिमाग से भी काम लिया है। परिणामस्वरुप मंदी और मंहगाई की मार से निपटने के लिए पंजे को सरकार बनाने का जनादेश मिला है। कांग्रेस को भी इतनी सीटें मिलने की सम्भावना नहीं थी। यूपी में हुए विगत विधानसभा चुनाव में जनता ने जिस हाथी को अपना जनादेश देकर सबको आश्चर्य में डाल दिया था, उसी तरह पंद्रहवीं लोकसभा चुनाव में जनता ने पंजे को जनादेश देकर सबको चौंका दिया। इतने स्पष्ट जनादेश की आशा किसी ने नहीं की थी। सबको खुशी इस बात की है की क्षेत्रीय क्षत्रपों की केन्द्र की राजनीति में बढ़ रही दखलंदाजी को जनता ने अपना जनादेश देकर उनका सफाया कर दिया। बाहुबलियों के बढ़ रहे वर्चस्व को धरासायी कर दिया।
अब हम आशा कर सकते है कि जो सरकार बनेगी उसमें गठबंधन की गुर्राहट की आवाज़ कम सुनाई देगी। कांग्रेस निर्बाध रूप से पाँच साल तक सरकार का संचालन कर सकेगी। गुलज़ार के जिस गीत ने स्लमडॉग मिलिनेयर फिल को ऑस्कर पुरस्कारों में जय हो करवाया उसी गाने को कांग्रेस पार्टी ने अपने चुनाव प्रचार का प्रमुख हिस्सा बनाया। संभवतः इस नारे ने कांग्रेस पार्टी को अप्रत्याशित सीटें पुरस्कार रूप में दिलाने में अहम रोल अदा किया है। जनता के जनादेश ने नकारात्मक प्रचार करने वालों को ज़ोर का झटका धीरे से दिया है। झटका खाए नेता बखूबी समझ गए होंगे की नकारात्मक प्रचार करने से लोकतंत्र पर शासन नही किया जा सकता है। भाजपा को इसी नकारात्मक प्रचार का दंड देकर जनता ने सकारात्मक जनादेश दिया है। यह स्पष्ट गो गया की समन्वयवादी व सकारात्मक दृष्टिकोण वाली पार्टी ही लोकतंत्र में जीवित रह सकती है, न की वह जो विखंडन, विभाजन और विभ्रम की राजनीती करते हैं।
एक बार फ़िर जनता ने दिखा दिया की लोकतंत्र की असली चाबी उसी के हाथों में है। इसलिए जो जनता के हित में काम नहीं करेगा, स्वार्थ और सत्ता लोभ की राजनीती करेगा जनता उसे सत्ता की चाबी कभी नहीं सौंपेगी। जनता के ज़बर्दस्त जनादेश को मेरा पुनः जय हो !
जय हिंद !
jan ki jai ho
ReplyDeletejanhit ki jai ho
janadesh ki jai ho