अगर कोई बात गले में अटक गई हो तो उगल दीजिये, मन हल्का हो जाएगा...
अरविन्द शर्मा
बदले या नहीं बदले, दूसरों को बदलने की जिद हर किसी पर सवार है। मेरे साथ भी कुछ ऐसा ही हो रहा है। कुछ लोग मुझे बदलने के लिए हर संभव कोशिश....
read more on apkikhabar.blogspot.com
जनाब, आप जैसे हैं वैसे ही रहें. दूसरों के प्रयासों को विफल करतें रहें और अपनी मौलिकता बनाये रखें.
हम को बदल सके ये ज़माने में दम नहींहम से है ज़माना, ज़माने से हम नहीं:)
जनाब, आप जैसे हैं वैसे ही रहें. दूसरों के प्रयासों को विफल करतें रहें और अपनी मौलिकता बनाये रखें.
ReplyDeleteहम को बदल सके ये ज़माने में दम नहीं
ReplyDeleteहम से है ज़माना, ज़माने से हम नहीं:)