3.7.09

स्वार्थी...

मुझे मालूम है
जब आपने देखा होगा पहली बार मुझे
कितने खुश हुए होंगे आप
शायद इतना जितना कभी नहीं
आपको मेरे रूप में अपना उतराधिकारी मिला था
उतराधिकारी... आपकी सुखो का, आपके सपनो का,
आपके भविष्य का, आपके अपने परिवार का
मुझे मालूम है, आपने मुझे कभी अपने दुखो का
साझेदार नहीं बनाया
वो तो आपने सिर्फ अपने लिए रखे...
आपने अपना सब कुछ हमारे साथ बांटा,
मगर दुखो के बारे में आप स्वार्थी हो गए.....
मुझे मालूम है, आप मुझसे चाहते है
मैं आपके अधूरे सपनो को पूरा करूं
आपकी आकान्छाएं है मुझसे
पर मेरी महत्वकांछाएं, आपकी आकान्छाओं से
ज्यादा तेजी से बढ़ने लगी
मैं अपनी हर महत्वकान्छओं को पूरा करना चाहता था
पर श्रोत तो सिर्फ एक है.... आप और सिर्फ आप
आपके दिए सुखो ने भुला दिया मुझे
आपके पास तो सिर्फ दुःख बच गया है
मैं भूल गया था आपके बारे में,
आपके अधूरे सपनो के बारे में
मैं तो सिर्फ सोंचता था अपने बारे में
अपनी जरूरतों को गलत तरीके से पूरा करता रहा....
(जिसकी शायद मुझे कभी जरूरत थी ही नहीं)
हर बार आपने मुझे समझाया,
मुझे गलत राहों पर जाने से रोकने की पूरी कोशिश की
शायद भगवान् भी गलतियों के लिए, एक या दो बार माफ़ करता हो...
पर आपने मुझे मेरी गलतियों के लिए सैकडों बार माफ़ किया.....
पर मैं गलतियाँ करता रहा, शायद जान-बुझकर
अब तो शायद आपकी आशाएं भी ख़त्म हो गयी होंगी मुझसे
पर मैं आपके सपनो को, आपके अधूरे सपनो को पूरा करूँगा
मैं बनूँगा आपका उतराधिकारी,
उतराधिकारी.... आपकी सुखो का ही नहीं, आपके दुखो का भी
आपके दुःख सिर्फ आपके नहीं रहेंगे
मैं भी बनूँगा उनका साझेदार...
अब मैं आपको नहीं बनने दूंगा स्वार्थी....

4 comments:

  1. जनाब , लिखावट बहुत सुन्दर है , काश हम ऐसे उत्तराधिकारी बन सकते .....

    लिखना तभी सार्थक होगा जब हम सब ऐसा कर सकें ...

    शाहिद "अजनबी"

    ReplyDelete
  2. किया एहसान इतना भर की कुछ और मांग सकता... जो थामें के चला था, वो हाथ थामें रखता...

    ReplyDelete
  3. bahut achhe
    shaandaar
    badhaai !

    ReplyDelete
  4. narayan ji, aapne har uss santaan ke dil ki baat ko shabdo me dhaalaa hai, jo apne liye nahi balki aapne maata-pitha ke liye kuch karna chahta hai, iss tarah ki or rachanaayen ho to wo bhi jarur padhaiyegaa.

    ReplyDelete