26.9.09

बीयर पर गणेश जी और तम्बाकू पर तुलसीदास

जब पाप हदों को लाँघ जाये केवल पैसा कमाने की हवस हो या थोड़ी ताकत आ जाये तो मतलबपरस्त इंसान रुपी कथित "इंसान" को भगवान भी बोना नज़र आने लगता है. उसके स्वार्थ की कोई सीमा नहीं होती और वह भगवान को भी दाव पर लगा देता है. वह दुनीया को अपनी नज़र से देखता है उसे अपने कामों मे कोई बुराई नज़र भी नहीं आती. एक अमेरिकी कम्पनी ने बीयर पर गणेश जी की तस्वीर डाल दी है. हमारे ही भाई इसकी खरीदारी कर जमकर लुफ्त उठा रहे है. भारत मे तम्बाकू पर तुलसीदास को छापकर बेचा जा रहा है अफ़सोस और लज्जा की बात केवल इतनी भर है की कही कोई वीरोध नहीं है. छोटी बातो पर शोर मचाने वाले सामाजिक संघटन भी दुम दबाकर पड़े है. इसमे उनका कोई फायदा होने वाला नहीं है. फितरत ही ये है. वैसे भगवान के नाम पर बहुत कुछ हो रहा है. पाखंडी लोगों की दुकाने चल रही है. उन बाबा लोंगों का भक्ति का करोडों का बाज़ार भी चल रहा है जीनके उजले लिबास वाले लोग भक्त है. भगवान और आस्था के नाम पर ठगी का गोरखधन्दा बदस्तूर जारी है. शायद ये पतन है और पतन की दलदल इस तरह होती है जीसमे इंसान धसता ही चला जाता है. * --नितिन सबरंगी


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