लालगढ़ का पुलिसिया मीडिया ट्रॉयल जारी है। कोलकाता से प्रकाशित ‘दि टेलीग्राफ’(5 अक्टूबर 2009) ने पुलिस के हवाले से खबर दी है कि छत्रधर महतो के नेतृत्व वाली ‘पुलिस दमन विरोधी कमेटी’ लालगढ-बीनपुर इलाके के लोगों से जबरिया मासिक चंदा वसूल करती थी। विभिन्न केटेगरी के लोगों से अलग अलग राशि वसूल की जाती थी। विभिन्न मदों में मासिक धन वसूली का काम विभिन्न लोगों के जिम्मे था। कुल मिलाकर इलाके से 80 लाख रूपये वसूल किए जाते थे।
सूची इस प्रकार है-
1. सरकारी सहायता प्राप्त 16 हाईस्कूल शिक्षकों से मासिक – 15 लाख रूपये
2. दस डाकघरों के कर्मचारियों से मासिक – 5 लाख रूपये
3. इलाके के दस बैंकों के कर्मचारियों से मासिक – 5 लाख रूपये
4. वनविभाग में कार्यरत दो अफसरों से मासिक – 2 लाख रूपये
5. दस पंचायत समिति के दफ्तरों में कार्यरत कर्मचारियों से मासिक- 2 लाख रूपये
6. 78 शिशु शिक्षा केन्द्रों से मासिक – 50 हजार रूपये
7. 6 माध्यमिक शिक्षा केन्द्रों से मासिक – 20 हजार रूपये
8. 5 सार्वजनिक स्वास्थ्य केन्द्रों सेमासिक – 25 हजार रूपये
9. दूरसंचार एक्सचेंज में कार्यरत कर्मचारियों से मासिक – 20 हजार रूपये
10. 10 इंटीग्रेटेड बाल विकास योजना केन्द्रों में कार्यरत 300 कर्मचारियों से मासिक – 40
हजार रूपये फिरौती के रूप में वसूल किए जाते हैं।
पुलिस को ये सारे तथ्य ‘पुलिस दमन विरोधी कमेटी’ के कोषाध्यक्ष की गिरफ्तारी के बाद जांच के दौरान पता लगे हैं। यह धन वसूली का धंधा लालगढ और बीनपुर इलाके में विगत दस महीनों से चल रहा है। पुलिस उन खातों का भी पता लगाने में लगी है जहां यह पैसा जमा होता था। अखबार ने लिखा है कि पुलिस ने मासिक जबरिया धन वसूली के जो आंकडे दिए हैं वे पूरी तरह बैंक खातों के आधार पर ही तैयार करके दिए हैं। पुलिस का यदि यह दावा सही है तो इसकी समस्त जानकारी सबसे पहले अदालत को दी जानी चाहिए। वाम विरोधी अखबार को इस जानकारी को जारी करना क्या महज प्रचार अभियान तो नहीं है ? जिन खातों के आधार पर यह जानकारी दी गई उन खातों के ब्यौरे भी प्रेस में आते और अन्य स्रोतों से उसकी पुष्टि होती तब ही यह विश्वसनीय होता। इसके बावजूद सबसे बड़ी समस्या यह है कि लालगढ-बीनपुर इलाके का कोई पीडित व्यक्ति जब तक ‘पुलिस दमन विरोधी कमेटी’ के खिलाफ जबरिया धन वसूली की शिकायत नहीं करता तब तक पुलिस जबरिया धन वसूली के सवाल पर कानून की नजरों में कुछ भी नहीं कर सकती । क्या पुलिस के पास जबरिया धन वसूली की शिकायतें हैं ? शिकायतें और चश्मदीद गवाह होने पर ‘पुलिस दमन विरोधी कमेटी’ के लोगों को घेरा जा सकता है।
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