5.10.09

निशंक सरकार के सौ दिन हुए पूरे


इन सौ दिनों के सफर में दर्ज हुयीं कई उपलब्धियां
भ्रष्टाचारियों पर कसी लगाम
जनता से साधा सीधा संवाद
राजेन्द्र जोशी
देहरादून । निशंक सरकार ने 100 दिन के अपने सफर में विकास और नियोजन के कई मुकाम हासिल किए हैं। मुख्यमंत्री ने एक ओर भ्रष्टाचार में लिप्त बड़ी मछलियों को दंडित किया, तो दूसरी ओर आम आदमी से सीधे संवाद स्थापित कर लोगों को भरोसा दिलाया कि वह आम लोगों के मुख्यमंत्री है। 14 वीं लोक सभा के परिणामों ने जहां पूरे देश को चौंकाया वहीं प्रदेश में भाजपानीत सरकार की भी जमीन हिला कर रख दी। उत्तराखण्ड राज्य गठन के पश्चात यह पहला मौका था जब प्रदेश में सत्तारूड़ दल की सरकार होने के बावजूद पांचों लोक सभा सीट गंवानी पड़ी और जनता ने भाजपा के प्रत्याशियों को औंदे मुंह गिरा दिया। राजनीतिक पण्डित भी असमंजस में थे कि प्रदेश में भाजपा की इस सरकार के रहते जहां विधान सभा उपचुनाव, स्थानीय निकाय चुनाव, लोक सभा उपचुनाव और पंचायत चुनाव में सत्ताधारी दल की परचम लहराया तो ऐसे क्या कारण रहे कि लोक सभा के सामान्य चुनाव में सत्तारूढ़ दल का सुपड़ा ही साफ हो गया। प्रदेश में सत्ताधारी दल के राजनीतिक नेतृत्व को इसका एक मुख्य कारण मानने वालों की भी कमी नहीं रही और यह कयास लगाये जाने लगे कि प्रदेश में भाजपा का अन्त नजदीक है। आपसी गुटबाजी सरकार और संगठन में मतभेद, कार्यकर्ताओं में निराशा का माहोल इस ओर इशारा भी कर रहा था, लेकिन भाजपा हाईकमान द्वारा एक दूरदर्शी निर्णय लेकर प्रदेश में नेतृत्व परिवर्तन जून के आखरी सप्ताह में कर दिया गया और प्रदेश की बागडोर एक युवा, जुझारू, कर्मठ और जमीन से जुड़े नेता को सौंप दी। डा. निशंक के रूप में प्रदेश को पांचवा मुख्यमंत्री के रूप में एक ऐसा मुख्यमंत्री मिला, जो उत्तर प्रदेश में पर्वतीय विकास और संस्कृति मंत्री के रूप में अपनी छाप छोड़ चुका था। राज्य गठन के बाद भाजपा की सरकार में वित्त और राजस्व जैंसे महत्वपूर्ण महकमों की जिम्मेदारी बखूबी निभा चुका था और जिसने अपने राजनीतिक जीवन की शुरूवात ही वर्ष 1991 में कर्णप्रयाग विधान सभा क्षेत्र में कांग्रेस के दिग्गज डा. शिवानन्द नौटियाल को परास्त कर की थी। मुख्यमंत्री डा. निशंक ने सत्ता संभालते ही जनता की कटिनाइयों को समझाा और नेतृत्व को जनता से जोड़ा। जनता की बिजली और पानी जैंसी समस्याओं का सत्ता सभालते ही 24 घण्टे के अंदर ही दुरस्त करने का काम शुरू कर दिया। इसका सार्थक परिणाम भी मिला, बिजली और पानी के संकट से परेशान जनता को फौरी राहत मिली और जनता को भी लगा कि उनके दु:ख-दर्दों को अब कोई सुनने वाला नेता आ गया है। सरकारी तंत्र में आये ठहराव को कसने का काम मुख्यमंत्री ने पहली प्राथमिकता में रखा और सत्ता सभालने के 15 दिन के अंदर ही गढ़वाल और कुमांऊ में पौड़ी तथा नैनीताल में बड़े अधिकारियों को स्पष्ट बता दिया कि अब वातानुकूलित कमरों से बाहर निकलकर लोगों के पास पहुॅचे। उनकी समस्याओं का मौके पर निराकरण करें और जनता की मूलभूत सुविधाओं बिजली, पानी, सडक़, स्कूल और स्वास्थ्य की व्यवस्था को दुरस्त करें। जहां उन्होंने जिलाधिकारियों को इसके लिए जिम्मेदार बनाया वहीं मंत्रियों को जिले का प्रभारी बनाने के साथ ही शासन के बड़े अधिकारियों को भी जिलों में भेजकर उनकी योजनाओं के मूल्यांकन के लिए जिम्मेदारी भी तय कर दी। जनता से मुख्यमंत्री के सीधे रूबरू होने से लोगों को आज एक परिवर्तन महसूस हो रहा है। दूरस्थ क्षेत्रों के लोग सीधे मुख्यमंत्री से मिलकर अपनी बात कहते हैं और उनकी बात पर गम्भीरता से सुनवाई भी हो रही है। बीमार को इलाज के लिए पैंसे, गरीब को पुत्री के विवाह के लिए अनुदान और मेधावी बच्चों को पढ़ाई के लिए मां-बाप की फरियाद मुख्यमंत्री सीधे सुनकर मौके पर निर्णय भी ले लेते हैं। अपने पहले सरकारी जनता दर्शन में मुख्यमंत्री ने जहां 4 घण्टे खड़े होकर प्रदेश की दूर-दराज से आई हुई लगभग 1500 जनता की समस्याओं को सुना वहीं तत्काल 22 लाख रुपये की आर्थिक सहायता भी मंजूर की। जनता की मुख्यमंत्री से अपेक्षाएं बढ़ गई हैं और मुख्यमंत्री भी इस बात को समझते हैं, इसीलिए जिलाधिकारियों को अपने-अपने जिले में माह में एक बार उन्होंने शिविर लगाने के निर्देश भी दिये हैं, जिसके फलस्वरूप आज ग्रामीण क्षेत्रों तक जिले के अधिकारी पहुॅच रहे हैं और लोगों को सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं का लाभ भी दे रहे हैं। एक नई कार्यसंस्कृति के पक्षधर हैं प्रदेश के मुखिया लेकिन जनता की समस्याएं अपार हैं। ऐसी कोई जादू की छड़ी नहीं है जो एक साथ सबका समाधान हो जाय। लेकिन इतने कम समय में मुख्यमंत्री ने जो पहल की है वह आज जनता द्वारा सराही जा रही है। प्रदेश के सीमित संसाधनों को बढ़ाने के लिए मुख्यमंत्री डा. निशंक लगातार चिन्तनशील हैं और अपने कुशल प्रशासक होने का उन्होंने बखूबी कई क्षेत्रों में उदाहरण भी पेश किया है। छठवें वेतन आयोग से 2000 करोड़ रूपये के वित्त भार के बावजूद उन्होंने इस वर्ष के बजट में कोई नया कर नहीं लगाया और साथ ही आम आदमी की रोजमर्रा की जरूरतों पर वैट को भी समाप्त कर दिया। पहली बार महिलाओ के लिए 1205 करोड़ रूपये की व्यवस्था बजट में करने के साथ ही महिलाओं को स्टाम्प शुल्क में छूट की सीमा को 10 से बढ़ाकर मुख्यमंत्री ने 20 लाख रूपये कर मातृ-शक्ति के प्रति सरकार का सम्मान दर्शाया है। व्यापारियों के लिए भी अब उन्होंने दुर्घटना बीमा योजना की धनराशि 3 लाख से बढ़ाकर 5 लाख रूपये कर दी है। साथ ही व्यापारियों की समस्याओं के समाधान के लिए राज्य एवं जनपद स्तर पर व्यापार मित्र समिति गठित कर दी गई है। मुख्यमंत्री ने जहां प्रदेश के स्थानीय निकायों, प्राधिकरणों, पंचायतों, स्वायत्त संस्थाओं, सरकारी उपक्रमों तथा विश्वविद्यालय के शिक्षणेत्तर कर्मियों को छठे वेतनमान का लाभ भी दिया, वहीं दूरस्थ क्षेत्रों के डिग्री कालेजों में कार्यरत संविदा शिक्षकों के मानदेय में 5 हजार रूपये की वृद्धि भी की है। पहली बार विभिन्न अंतराष्ट्रीय और राज्य स्तर पर पुरस्कार प्राप्त खिलाडिय़ों की पुरस्कार राशि निर्धारित कर दी है। डा. निशंक ने इस अवधि में समाज के सभी वर्गों के कल्याण के लिए ठोस पहल की है। प्रदेश के संसाधनों को भी बढ़ाने के लिए मुख्यमंत्री ने योजनाबद्ध ढंग से कार्य शुरू किया। एक ओर केन्द्रीय योजना आयोग से राज्य गठन के बाद अब तक के सबसे अधिक परिव्यय 5575 करोड़ रूपये की योजना मंजूर कराई वहीं पहली बार कुम्भ के लिए केन्द्र सरकार से 400 करोड़ रूपये की अतिरिक्त सहायता भी लाने में सफल रहे। केन्द्र सरकार ने वर्षों से लम्बित उत्तराखण्ड के कैम्पा के अंतर्गत 771 करोड़ रूपये की धनराशि को भी प्राप्त करने की दिशा में भी प्रभावी पहल शुरू की, जिसका नतीजा है कि आज केन्द्र सरकार ने राज्य को कैम्पा में 80 करोड़ रूपये उपलब्ध करा दिये हैं। मुख्यमंत्री के प्रयासों से आज हल्द्वानी क्षेत्र में पेयजल और सिंचाई के लिए एक नई आस जगी है। वर्षों से लम्बित जमरानी बांध को शुरू करने के लिए केन्द्र ने सैद्धान्तिक सहमति दे दी है। मुख्यमंत्री ने देहरादून में सौंग बांध के निर्माण के लिए केन्द्रीय सहायता हेतु भी केन्द्र सरकार से सहमति करा ली है। इस अल्प अवधि में यह उनके नेतृत्व का ही कमाल है कि आज प्रदेश के विकास के लिए केन्द्र से अपेक्षित सहयोग मिल रहा है और प्रधानमंत्री व्यक्तिगत रूप से राज्य के हित में उठाये गये उनके प्रस्तावों से सहमत हैं। आशा की जानी चाहिए कि मुख्यमंत्री के ये प्रयास और भी सार्थक होंगे और प्रदेश के औद्योगिक पैकेज की सीमा भी उत्तरी पूर्वी राज्यों की भांति बढ़ेगी। देश और दुनिया के सबसे बड़े मेले इस सदी के पहले महाकुम्भ को सफलता पूर्वक आयोजित करने के लिए भी मुख्यमंत्री ने ठोस कार्य शुरू किया है। कुम्भ मेले की व्यवस्थाओं के लिए 565 करोड़ रूपये की धनराशि मंजूर कराई है, पहली बार कुम्भ मेले में उन्होंने 60 प्रतिशत से अधिक स्थाई प्रवृत्ति के कार्य पूर्ण कराने का कदम उठाया और वरिष्ठ अधिकारियों को निर्माण कार्यों के मूल्यांकन के लिए उत्तरदायी बनाया है। देश और दुनिया के लगभग 5 करोड़ लोगों के इस मेले में आने की सम्भावनओं केा देखते हुए मुख्यमंत्री सभी व्यवस्थाएं चाक-चैबन्द करने के लिए निरन्तर अपने स्तर पर नजर रखे हुए हैं। कुम्भ मेले में पहली बार 108 आपात चिकित्सा सेवा संचालित करने का निर्णय भी मुख्यमंत्री ने लिया है और प्रदेश के सभी विकासखण्डों तक इस सेवा को पहुंचाया जा रहा है। प्रदेश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने और यहां की जवानी और पानी का बेहतर उपयोग करने के लिए मुख्यमंत्री ने इस अवधि में कई महत्वपूर्ण कार्य शुरू किए। जड़ी-बूटी को अर्थव्यवस्था का आधार बनाने और प्रतिवर्ष 1 हजार करोड़ रूपये की जड़ी-बूटी पंतजलि योगपीठ द्वारा क्रय करने के लिए सैद्धान्तिक सहमति बन चुकी है। आयुर्वेद विश्वविद्यालय की स्थापना भी आयुष प्रदेश को आगे बढ़ाने में एक सराहनीय कदम साबित होगा। मुख्यमंत्री का मानना है कि गोविन्द बल्लभ पंत विश्वविद्यालय और भरसार औद्यानिक विश्वविद्यालय जड़ी-बूटी के क्षेत्र में शोध कर किस क्षेत्र में किस जड़ी-बूटी की पैदावार हो सकती है यह कार्य कर किसानों को इसी हिसाब से जड़ी-बूटियां उपलब्ध करायें ताकि भविष्य में पहाड़ों में जड़ी-बूटी पर आधारित उद्योग भी लगाये जा सकें। इससे पहाड़ों में युवाओं को रोजगार मिलेगा और पलायन भी रूकेगा। छोटी-छोटी बिजली परियोजनाएं बनाकर प्रदेश को ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के लिए मुख्यमंत्री ने कार्यशुरू कर दिये हैं और उत्तराखण्ड और हिमाचल सहित उत्तरी राज्यों को बिजली, पानी तथा सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराने के लिए 600 मेगावाट की किसाऊ बांध परियोजना भी मुख्यमंत्री के प्रयासों से शुरू होने वाली है। मुख्यमंत्री का एक विजन है जिसके तहत 2020 तक यह प्रदेश, देश का एक ऐसा राज्य बन जाय जो हर दृष्टि से खुशहाल हो। जहां लोग आने के लिए लालायित हों, योजनाओं का लाभ प्रदेश के हर छोर तक के व्यक्ति तक पहुॅचे और यह सचमुच धरती का स्वर्ग साबित हो। इस दिशा में उन्होंने पर्यटन, पर्यावरण संरक्षण, ऊर्जा, जड़ी-बूटी, कुटीर उद्योग, बेहतर मानव संसाधन, गंगा स्वच्छता अभियान, जैंसे विषयों पर कार्य भी शुरू कर दिया है। विकासनगर उपचुनाव को राजनीतिक विश्लेषकों ने मुख्यमंत्री की प्रतिष्ठा से जोड़ दिया था और इस चुनाव में मजबूत विपक्ष के सामने भाजपा ने एक ऐसा प्रत्याशी खड़ा किया था जिसका चेहरा लोगों के लिए अन्जान था लेकिन मुख्यमंत्री ने अपनी राजनीतिक कुशलता और बेहतर प्रबन्धन से इस उपचुनाव में भाजपा प्रत्याशी को जिताकर यह लिटमस टैस्ट भी पास कर लिया। यह निशंक का ही कमाल था कि जिस सीट पर भारतीय जनता पार्टी को लोग मुकाबले में ही नहीं मान रहे थे वह आज भाजपा के पास है। जनता ने इस युवा मुख्यमंत्री के नाम पर अपनी मुहर लगाई और भाजपा कार्यकर्ताओं और संगठन ने भी एकजुटता का परिचय देकर डा. निशंक के हर दावे को मजबूत किया। आज मुख्यमंत्री ने विधान सभा में अपना सपष्ट बहुमत हासिल कर लिया है। एक मजबूत और स्थायित्व सरकार के मुखिया के रूप में डा. निशंक के सामने अनेक चुनौतियां हैं। एक ओर गैरसैंण को राजधानी बनाने का मुद्दा दूसरी ओर आंदोलनकारियों के मान-सम्मान का सवाल है लेकिन निशंक हर चुनौती से निपटना जानते हैं अपने कुशल व्यवहार से, राजनीतिक सूझबूझ और मजबूत प्रशासन पर पकड़ के चलते उनके लिए हर चुनौती भले ही एक इम्तिहान हो लेकिन वे हर इम्तिहान खरा उतरने की कुब्बत भी रखते हैं। भ्रष्टाचार के विरूद्ध छेड़ी उनकी जंग आम आदमी को सुकून पहॅुचाने वाली हो सकती है लेकिन अभी बड़े मगरमच्छों केा पकडऩा बाकी है। विकास योजनाओं की धनराशि अगर सचमुच इन योजनाओं पर ईमानदारी से मुख्यमंत्री लगा सकें तो उत्तराखण्ड के इतिहास में वे सचमुच नायक सिद्ध हो सकते हैं। जनता और जन भावनाएं उनके साथ हैं लोगों को परिवर्तन भी महसूस होता है अभी तो बहुत छोटी अवधि का कार्य हुआ है सफर लम्बा और टेढ.ा है। पहाड़ के लोगों के अलग राज्य का जो सपना था उसको निशंक कैंसे पूरा कर पाते हैं यह आने वाला समय तय करेगा।

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