हर्ष वर्द्धन हर्ष
गणतन्त्र दिवस के नव प्रभात में,
जादु-सी तरूणाई है।
गूँज रहें हैं राष्ट्र तराने,
नव चेतना छाई है।
शीतल पवन, हरियाली धरती,
खेतों में फसल लहरायी है।
भारत माँ का जय घोष करती,
बच्चों की टोली आई है।
कौमी एकता के सिंहनाद से,
आतंक ने दुम दबाई है।
ललकार रहा है भारतवासी,
शत्रु ने मुँह की खाई है।
मुकुट हिमालय, हृदय में तिरंगा,
आँचल में गंगा लाई है।
सब पुण्य, कला व रत्न लुटाने,
देखो भारत माँ आई है।
No comments:
Post a Comment