बहन मायावती को अपनी मूर्तियों की सुरक्षा की इतनी चिंता है की वे इसके लिए एक अलग पुलिस बल के गठन में लग गयी हैं। अपना विधायक है बिल तो विधानसभा में पास हो ही जायेगा । लेकिन इस पर आने वाले खर्च को यदि दलितों के कल्याण पर खर्च किया जाता तो बेचारे की कुछ बेचारगी दूर भी होती । ये पुलिस बल क्या करेंगे मूर्ति पर बैठने वाले पक्षियों को उराएंगें की कहीं ये उसपर बीत न कर दें यदि कर भी देंगे तो उसको ये पाने से साफ करेंगें। भला इससे बड़ा मजाक इस लोकतंत्र का और क्या हो सकता है की जब मन चाहे अपने तरह का विधेयक विधान सभा से पास करा लो ।
आजकल मराठा राजनीती उफान पर है । जबसे राज ठाकरे ने तेरह विधायक जित लिया तबसे कांग्रेस और शिवसेना में कुछ जयादा ही मराठा प्रेम उमर आया है । लगता है की मुंबई इनलोगों की पुस्तैनी जागीर है। अरे मौसमी राजनीती करने वालों दो चार दिन की जिन्दगी ही तो है। कहे अखंड भारत को तोरने में लगे हो। अभी भी तो अंग्रेजों वाले सोच से निकलो ।
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