3.2.10

ख़त्म होते भारत के शेर........



पन्ना,4 दिसंबरः मध्यप्रदेश के "पन्ना टाइगर रिजर्व" के पर्यटक जोन में पिछले लगभग दो माह से सैलानियों को बाघ दिखायी नहीं देने से जहां उनमें गहरी निराशा है. वहीं क्षेत्रीय लोग बाघों की मौजूदगी को लेकर भी सवाल उठाने लगे हैं.
इस क्षेत्र में आने वाले वन्य जीव प्रेमी पर्यटक बाघ के दर्शन न होने पर तेंदुआ आदि को देख कर ही संतोष कर रहे हैं.ब्रिटेन से आये पर्यटकों के एक समूह ने यूनीवार्ता को बताया कि उन्होंने लगभग एक सप्ताह तक प्रयास कि या लेकिन बाघ के दर्शन नहीं हुये.

क्या ऐसी ही हालत थी "पन्ना टाइगर रिजर्व" की नहीं न? तो भला अब भारत में ऐसी स्थिति कैसे आ गयी. हाल ही में १ सर्वे से पता चला की भारत में अब सिर्फ १४०० के लगभग शेर बचे हैं. मतलब हमारी आगे आने वाली पीढ़ी शेर के बारे में वैसे ही पढ़ा करेगी जैसे की हमने "दयानासौर्स" के बारे में पढ़ा है.

ऐसी स्थिति सिर्फ शेर की नहीं बल्कि हाथी और गेंडों की भी है.
१ रिपोर्ट अनुसार नई दिल्ली, २००९, 27 फरवरीः देश के विभिन्न इलाकों में जंगली जानवर का शिकार बेधड़क जारी हैं. सरकार ने माना है कि पिछले तीन वर्षो में 10 बाघ और 57 हाथियों का शिकार किया गया है, लेकिन 105 घड़ियाल केवल करीब ढ़ाई माह में और पिछले लगभग सवा वर्ष में 11 गैंडे मारे गये.
पर्यावरण एवं वन राज्यमंत्री एस रघुपति ने आज लोकसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में बताया कि 8 दिस्मबर 2007 से 2 फरवरी 2008 के बीच 105 घडियाल मारे गये हैं. उन्होंने हालांकि कहा कि इसके कारण का अभी पता नहीं चला है.
काजीरंगा राष्ट्रीय उद्योग और असम के आसपास के इलाकों मेंवर्ष 2007 में 18 और 2008 में अब तक 4 गैंडों का शिकार किया गया. उन्होंने बताया कि पिछले तीन वर्ष में देश के विभिन्न हिस्सों में 10 बाघों और 57 हाथियों का शिकार किया गया. इसके अलावा इसी अवधि में 4 बाघ और 21 हाथी कथित रुप से सड़क दुर्घटनाओं में मारे गये.

इनसब वारदातों के कारण साफ़, शेरोन की खाल हाथी के दन्त और गेंडों की सिंह की भरी मात्र में तस्करी और कालाबाजारी.
टाइगर रिजर्व के बारे में बहुत से लोगों ने पहले भी लिखा है पर अब सिर्फ किताबों में पढने का वक़्त नहीं रहा. अगर आपको वाकई में भारत के वन्य प्राणियों को बचाना है, या फिर आप चाहते हैं, की विदेशी सैलानी भारत के वन्य प्राणियों का आनंद ले जिससे भारत की अर्थव्यवस्था को भी मदद मिले तब कुछ करना होगा. रोक लगानी होगी इनके शिकार पर, अगर आपको किसी भी वन्यप्राणी की तस्करी या शिकार की खबर मिलती है तो तुरंत ही अपने क्षेत्र के वन विभाग अधिकारी को इसकी सूचना दें अगर सरकारी कर्मचारी भी इसे लेकर जिम्मेदार नहीं तो आप मीडिया कइ भी मदद ले सकते हैं.

2 comments:

  1. वन अधिकारी की मिली भगत बिना शिकार नहीं होता.
    मीडेया- बिकता है बन्धु!

    पूरी व्यवस्था चौपट है.
    वन्य प्राणियों की क्या कहें, इंसान तक सुरक्षित नहीं..... आपका आलेख अच्छा है.
    लगे रहें.... समाधान आ भी सकता है.

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  2. dhanyawad. aapka kehna bhi sahi hai media bikau ho gayi hai per iske liye bhi prayas jari hai ki media ka rutba fir se pehle jaise kaise kiya jaye

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