एक समय वो था जब गाँधी के विचारों की धूम थी...हर लफ्ज़ से एक विचार टपकता था..लोगों का एक हुजूम उनके पीछे अहिंसा की पूजा करने निकलते थे...जुल्म और सितम की हदों को पार कर विचारों को रौंदने वाले अंग्रेजों ने भी उस महान आत्मा के आगे अपने आप को नतमस्तक कर दिया...उन विचारों ने भारत में ही नहीं बल्कि पुरे विश्व में अपना परचम लहराया और एक नयी मिसाल कायम की...अहिंसा के उस महान पुजारी को सहत्राब्दी पुरुष का स्थान दिला दिया जिसने एक सुनहरे भारत का सपना देखा था...वही गांधी आ जिनके अनुयायी भारत में तो नहीं बचे हाँ लेकिन दुनिया के हर कोने में जरुर मिल जाते हैं उनके विचारों को आत्मसात किये...शान्ति का एक सन्देश लिए हुए....वहीँ गांधी जिनके सपनों का भारत एक आदर्श भारत होता....लेकिन आज उसी भारत में अहिंसा और झूठ ने इस क़दर अपने पाँव पसार लिए हैं की सत्य और अहिंसा के लिए शायद जगह ही नहीं बची...हर मोड़ पर..हर गली में सिर्फ एक ही चीज दिखाई देती है....हिंसा हिंसा और हिंसा.....
ये वही भारत है जिसकी आज़ादी के लिए भगत सिंह, चंद्रशेखर आज़ाद ...सुभाष चन्द्र बोस जैसे लोगों ने अपने जान की आहुति दे दी.....सिर्फ एक सपने के लिए जिसमे उन्होंने देखा था की उनका भारत और उसमे रहने वाले लोग हंसी ख़ुशी एक साथ रहेंगे.... आज़ादी के बादयहाँ अमन होगा चैन और सुकून होगा कुछ ऐसा ही सपना होगा उन लोगों .... उन लोगों ने गोरों को तो भगा दिया...लेकिन उन तानाशाह अंग्रेजों को नहीं भगा पाए जो आज अपनी अंग्रेजी भूल मराठा राग अलाप रहे हैं... हमारे परम पवित्र संविधान में ये लिखा है की " हम भारत के लोग भारत की एकता, अखंडता और सम्प्रभुता को बचायेंगे"वहीँ संविधान के एक अंश में ये भी लिखा है की भारत में द्विशासन प्रणाली तो होगी लेकिन नागरिकता सिर्फ एक होगी....वहीँ ये भी लिखा है की यहाँ की नागरिकता सिर्फ और सिर्फ एक होगी यानी भारत में रहने वाला निवासी भारतीय होगा और उसे भारत में कहीं भी रहने और रोजी रोटी का जुगाड़ करने का अधिकार होगा...लेकिन ऐसा हो नहीं रहा....खुलेआम भारतीय संविधान की धज्जियाँ उड़ाई जा रही हैं और हमारा प्रशासन खामोश है....
ओह!!!! नहीं हमारा प्रशासन खामोश नहीं हम खामोश हैं...!! क्यूंकि हम ही हैं वो जिन्होंने उन्हें ये अधिकार दे रखा है की वो कुछ भी करें हम कुछ नहीं करेंगे...हाँ!!!! शायद ऐसा ही है नहीं तो उनकी क्या मजाल की हमें बिहारी..उत्तरभारतीय....गुजराती और मराठी कह कर बुलाएँ...!!!
आज महाराष्ट्र में किसी की इतनी हिम्मत नहीं होती की वो किसी को बिहारी या उत्तरभारतीय कह कर नहीं डराता!!! एक बात शायद उन्हें नहीं पता की अपने घर में तो कुत्ता भी शेर होता है.....और तो और आज सामना में हिंदुत्व के कथित रखवाले बाला साहेब ठाकरे जी का बयान सुना तो बड़ा ही अचरज हुआ...उन्होंने ने कहा है की भारत सबका है और मुंबई में सबको रहने का अधिकार है लेकिन ये कोई धर्मशाला नहीं है....अरे गुरुदेव !! अगरसबको रहने का अधिकार है तो धर्मशाला की बात कहाँ से आई...भाई हम तो अपने घर में हैं...तो आप होते कौन हैं हमें भगाने वाले...अमारे बुजुर्गों ने सही ही कहा है की ६० साल के बाद आदमी सठिया जाता है....अब इसके आगे तो मैं कुछ नहीं कहूँगा....
हाँ!! अब बात आती है की आखिर ये सब हो क्यूँ रहा है....सब ये कह रहे हैं की ये देश सबका है तो आखिर ऐसा क्यूँ हो रहा है और अगर एशिया है तो सिर्फ बयान ही क्यूँ आ रहे॥!! आखिर कुछ ऐसा क्यूँ नहीं हो रहा की इसका कोई पुख्ता हल निकाला जा सके...शायद ये मुद्दा राजनीति के गलियारों में सत्ता पाने का अच्छा जरिया बना हुआ.....खैर कुछ भी हो मैं तो ठाकरे बधुओं की कोई गलती ही नहीं मानता...मैं तो उत्तर प्रदेश और बिहार के राज्य सरकारों को ही दोष दूंगा और उनसे कहूँगा की आप बयान बाजी न ही करें तो अच्छा है...भाई अब बयान बाजी करने का क्या मतोलब...जब काम करने का वक़्त था तब तो आप लोगों ने खूब गुलछर्रे उडाये......अब ब्यान बाजी कर रहे हो....भाई अगर कुछ करना है तो कुछ ऐसा करो की बिहार और उत्तर प्रदेश स लोगों का पलायन ही न हो......और अगर नहीं तो चुप करो क्यूंकि अब तक तो जो था वो था ही....जिस यु पी ..बिहार ने लाखों लोगों को ज़मीन से आसमान पर पहुँचाया है वो लोग ये भी जानते हैं की किसी को कैसे गिराना है...ये बात तो शायद आप लोगो ने सुनी ही होगी की " जब गीदड़ की मौत आती है तो वो शहर की ओर भागता है" वैसे ही जब किसी को अपनी बर्बादी करवानी होती है वो यु पी...बिहार की से पंगा लेता है....
जय हिंद...!!!
ना सहमत- ना असहमत!
ReplyDeleteमुझे तो ऐसा लगता है की पाकिस्तानियों और मराठियों को आजादी बिना मेहनत के मिल गई है इसी लिए पच नहीं रही है |
ReplyDeleteजो हाल आज पाकिस्तान का हो रहा है वही कल को महाराट्र का होगा अगर इन कट्टरपंथियों पर आअज को लगाम ना लगाई गई A