एक चुटकुला है कि दुनिया के कई देशों के पुलिस प्रमुखों की मीटिंग हो रही थी जिसमें ये था कि कोई अपराध होने पर किसी पुलिस प्रमुख ने कहा की हम 24 घंटे के अन्दर अपराधी को पकड़ लेते हैं किसी पुलिस प्रमुख ने कहा कि हम 48 घंटे में अपराधी को पकड़ लेते हैं तो उस मीटिंग में भारत की तरफ से उत्तर प्रदेश पुलिस प्रमुख ने कहा कि हमारे वहां पुलिस घटना के हफ़्तों पहले अपराधी को गिरफ्तार कर लेती है। हमारी पुलिसिंग सबसे तेज है।
प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह ने मुख्यमंत्रियों के सम्मलेन में नक्सलवाद, आतंकवाद साम्प्रदायिकता और क्षेत्रियता को देश के सामने मुख्य चुनौती बताई कि उत्तर प्रदेश पुलिस शनिवार को दस्तक मैगज़ीन की संपादक श्रीमती सीमा आजाद उनके पति विश्वविजय व अन्य महिला मानवाधिकार कार्यकर्ती आशा को माओवादी बता कर गिरफ्तार कर लिया उनके ऊपर आरोप है कि यह लोग प्रतिबंधित संगठन माओवादी के सदस्य हैं। श्रीमती सीमा आजाद पर आरोप है कि वह माओवादियों को संरक्षण देती हैं। पुलिस व एस.टी.एफ ने गिरफ्तार कर अपनी तेजी का सबूत दे दिया कि प्रधानमंत्री के मुंह से नक्सलवाद शब्द निकला नहीं की उत्तर प्रदेश पुलिस ने तेजी दिखाते हुए तीन नक्सालियों को गिरफ्तार कर लिया इनकी पीठ इलेक्ट्रोनिक व प्रिंट मीडिया ने ठोकनी शुरू कर दी । जबकि वास्तविकता यह है कि इलाहाबाद व कौशाम्बी के कचारी इलाकों में बालू खनन मजदूरों पर पुलिस-बाहुबली गठजोड़ के खिलाफ यह लोग आन्दोलन चलते थे वस्तुस्तिथि यह है कि उत्तर प्रदेश सरकार के एक मंत्री पूरे प्रदेश में बालू खनन व्यवसाय पर अपने बाहुबलियों के माध्यम से कब्ज़ा किये हुए हैं अब पुलिस का अगला कदम यह होगा कि इन लोगों के परिवार के लोगों का उत्पीडन करेंगे ताकि इन फर्जी मुकदमों में कोई भी आदमी इनकी मदद के लिए न खड़ा हो। आये दिन पुलिस का आतंक सामान्य नागरिको को भुगतना पड़ता है। रविवार को ही इलाहबाद में कोरांव के ओसफारा गाँव में पुलिस ने एक आदमी के घर दबिश दी और दबिश में वृद्ध की पुलिस पिटाई से परिवारवालों के समक्ष ही मृत्यु हो गयी पुलिस लाश लेकर भागने लगी गाँव वालों के व्यापक प्रतिरोध के बाद पुलिस लाश नहीं ले जा पायी और गाँव वालों के दबाव में खानापूरी करने के लिए दो पुलिस वालों पर मुकदमा दर्ज कर लिया गया। उत्तर प्रदेश में आये दिन पुलिस की पिटाई से लोग मर रहे हैं मुक़दमे जनता के दबाव में मुक़दमे दर्ज हो भी जाते हैं तो उनकी विवेचना भी उन्ही के साथी पुलिस वाले कर रहे हैं । पुलिस के दोनों चेहरे साफ़ हैं अगर आप पीड़ितों की शोषितों की मदद आगे आयेंगे तो आपको भी पुलिस उत्पीडन के तहत जेल जाने की नौबत आ जाएगी।
सुमन
loksangharsha.blogspot.com
अपने रिकार्डों की खानापूर्ति के लिए आम जनता का पुलिसिया उत्पीड़न कोई नई बात नहीं है। देश की जनता में अब पुलिस का खौफ और भरोसा दोनों ही समाप्त होने की कगार पर है। आंकड़े बताते हैं कि बगावत करने वाले अधिकतर लोग पुलिस व्यवस्था और उत्पीड़न से तंग लोग ही होते हैं।
ReplyDeleteअतः देश की सुरक्षा और जनता में प्रशासन के प्रति सम्मान और सहयोग की भावना पैदा करने के लिए सबसे जरूरी है, अपने देश के अन्दर नासूर बन चुके गिने चुने पुलिस अधिकारियों और ऐसे तमाम अराजक तत्वों से आमजनता को मुक्त किया जाए। जब तक इनका सफाया नहीं होगा तब तक देश की जनता हमारा अपेक्षित सहयोग नहीं करेगी। जनता के सहयोग के बिना हम आतंकवाद और नक्सलवाद जैसी समस्याओं से नहीं निपट सकते हैं।
आपका यह लेख काबिले तारीफ है। इससे देश की सुरक्षा पर भाषण देने वाले और ड्राइंगरूम पालिटिक्स करने वालों की आंखें खुलनी चाहिए।