अगर कोई बात गले में अटक गई हो तो उगल दीजिये, मन हल्का हो जाएगा...
12.3.10
बात तो कुछ भी ना थी
----- बात तो, कभी भी कुछ भी ना थी, मैं तो बस यूँ ही मुस्कुराता रहा, अपनों को खुश रखने के लिए अपने गम छिपाता रहा। ----- मेरे अन्दर झांकने वाले गुम हो गए दो नैन, कौन सुनेगा,किसको सुनाऊं कैसे मिले अब चैन।
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