22.3.10
जरा सोचे....
देश और विदेश का मौसम तेजी से बदलता जा रहा है... कही सूखे की मार पढ़ रही है तो कही बाढ़ ने अपना कहर धाया है कही न कही मौसम के सताए तो हम सब हे है... आज विश्व जल दिवस के मौके पर में इस ब्लॉग के जरिये आप सभी के समक्ष एक बात रखना चाहती हूँ... पानी की एक बूंद की कीमत यदि जाननी हो तो हमें उससे पूछना चाहिए जिसे कई दिनों बाद जल की एक बूंद मिली हो...शायद वो बूंद हे उसके लिए अमृत तुल्य होगी...हम सब अपने से छोटो को या आस पड़ोस के लोगो को बस ये सलाह देते रहते है की पानी बहुत अनमोल है इसे सावधानी से खर्च करना चाहिए....लेकिन क्या हमने खुद अपने ही घरों में कभी झांक कर देखा है की हम खुद कितने लीटर पानी रोज बर्बाद कर देते है.... आज जितनी तेजी से हमारे विश्व की जनसँख्या बढ़ रही है उससे कही अधिक तेजी से पानी की खपत भी बढ़ती जा रही है... यदि हम भारत को ही लेले तो कई ऐसे छेत्र है जहाँ पानी के लिए लोग एक दुसरे के खून के प्यासे हो जाते है.... यानी अब वो दिन दूर नहीं के पानी के लिए भाई भाई को मरेगा....सच हे कह गए है कबीर जी रहिमन पानी रखिये...बिन पानी सब सुन.... गर्मिया अपना रंग जमाना शुरू हे नहीं करती की हमारे घरों के नालो से बहने वाली जल की धर धीमी हो जाती है....आज जब हमारे घर के नालो में पानी नहीं आता तो हम जाकर नगर निगम का घेराव कर देते है या जल व्यवस्था को कोसने लग जाते है लेकिन हमारे पास जब पानी भरपूर था तब तो हमने कभी ये नहीं सोचा की उसकी एक एक बूंद को सहेज कर रखे...जब हमने ही जल का दुरूपयोग कर इसे जल्दी ही समाप्त कर दिया तो हम इसके लिए खुद को जिम्मेदार क्यों नहीं मानते ???????? हर पल बदलता मौसम हम सभी की चिंता वजह बना हुआ है जिसका सीधा असर पानी पर पड़ रहा है ... दुनिया भर के समझदार इसी कवायद में लगे हुए है की पानी को किस तरह बचा कर रखा जाए... लेकिन ये तब तक संभव नहीं हो सकता जब तक हम इसकी शुरुवात खुद अपने अपने घरों से ना करे....अब भी समय है पानी को बचालो वरना एक बार जब हाथ से ये बह जाएगा तो फिर लाख कोशिशे करले वापस हाथ नहीं आने वाला.... जल ही जीवन है इसका समझदारी से उपयोग करें...यादी आज नहीं सोचा तो कल सोचने को हम नहीं रहेंगे.....
hello aapne ek jvlant mudde par bahut achha likha hai me to yahi kahunga aap aise hi kuch khash likhti rahe..........
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